तीन धार्मिक शहरों की गंगा आरती का गवाह बनें
भगीरथ के अनथक प्रयासों से हजारों वर्ष पूर्व अवतरित हुई गंगा आज भी हर भारतीय के रग-रग में रची-बसी है। इसके धार्मिक महत्व की गाथा धरती से पाताल तक फैली हुई है। इस महत्व को और भी आगे ले जाने का एक नेक अनुष्ठान है-गंगा आरती (Ganga Aarti)। यह आरती देश के तीन प्रमुख शहरों में गंगा नदी के किनारे हजारों भक्तों के बीच रोज होती है। ये शहर हैं : वाराणसी, हरिद्वार और ऋषिकेश। इन धार्मिक शहरों की खासियतों के चलते यहां दुनियाभर से विदेशी भी जुटते हैं और गंगा आरती का गवाह बनते हैं। मां गंगा की उठती लहरों के साथ आरती और स्वर-लहरी का नजारा दिव्य अनुभूति का अहसास कराता है। इन शहरों में गंगा आरती स्थल तक पहुंचना बहुत आसान है।
वाराणसी की गंगा आरती (Ganga Aarti of Varanasi)
वाराणसी में गंगा आरती दशाश्वमेध घाट पर प्रतिदिन शाम को होती है। यह आरती 1991 से लगातार चलती आ रही है। इस आरती में कई बड़ी सेलेब्रिटी भी शामिल हो चुकी हैं। गंगा में नाव पर सवार होकर इस आरती को देखने का लुत्फ ही कुछ और है। भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी काशी नगरी यहां से धनुष के आकार की दिखती है। दशाश्वमेध घाट की प्राचीनता का अपना अलग ही महत्व है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार राजा दिवोदास ने यहां दस अश्वमेध यज्ञ कराए थे, इसीलिए इसका नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा। इस घाट के पास ही काशी विश्वनाथ मंदिर होने से इसका महत्व और बढ़ जाता है।
ऐसे पहुंचें : वाराणसी रेलमार्ग से जुड़ा हुआ शहर है। यहां कैंट रेलवे स्टेशन पर उतरकर कैब से आप दशाश्वमेध घाट पहुंच सकते हैं। बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचकर भी दशाश्वमेध घाट जाया जा सकता है। एयरपोर्ट से घाट तक की दूरी करीब 26 किलोमीटर तक की है। कैब से 50 मिनट में यहां पहुंचा जा सकता है। नेशनल हाईवे-56 और 233 भी वाराणसी को जोड़ता है। इनके जरिए भी पहुंचा जा सकता है।
हरिद्वार की गंगा आरती (Ganga Aarti of Haridwar)
हरिद्वार यानि भगवान का द्वार या मोक्ष द्वार। यहां ‘हर की पौड़ी’ पर रोज सुबह-शाम आरती होती है। यह आरती यहां के पंडितों की ओर से की जाती है। इस आरती की शुरुआत 1910 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी। तब से यह निरंतर चली आ रही है। गंगा नदी में तैरते दीपों के बीच यह आरती बहुत ही मनोरम और भव्य नजारा प्रस्तुत करती है। यहां आरती देखने पहुंचे श्रद्धालु दीप दान कर खुद को धन्य महसूस करते हैं।
ऐसे पहुंचें : हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग-58 से जुड़ा है। इसके जरिए यहां पहुंचा जा सकता है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर उतरकर भी आप आरती स्थल तक पहुंच सकते हैं। देहरादून का जौली ग्रांट हवाई अड्डा और नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट हरिद्वार के निकटतम हवाई अड्डों में शामिल हैं। गाजियाबाद के हिंडन एयरपोर्ट पर उतरकर भी यहां के लिए कैब की जा सकती है।
ऋषिकेश की गंगा आरती (Ganga Aarti of Rishikesh)
ऋषिकेश में गंगा आरती 2 जगहों पर होती है- 1. परमार्थ निकेतन आश्रम 2. त्रिवेणी घाट। इनमें से परमार्थ निकेतन आश्रम की आरती बहुत प्रसिद्ध है। यह आरती पंडितों के साथ वेद की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों की ओर से संपन्न कराई जाती है। इस दौरान शांति के बीच अलौकिक नजारा उपस्थित होता है। इस आरती को देखने बहुत ही दूर-दूर से लोग आते हैं। त्रिवेणी घाट की महाआरती में भी काफी लोगों की भीड़ जुटती है। कहते हैं कि त्रिवेणी घाट पर नहाने से लोगों के सारे पाप धुल जाते हैं। बहुत से लोग ऋषिकेश की इन दोनों आरती को देखे बिना वापस नहीं लौटते हैं।
ऐसे पहुंचें : यहां पहुंचना बहुत ही आसान है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर उतरकर आप आरती स्थल तक जा सकते हैं। हरिद्वार से भी यहां पहुंचा जा सकता है, यहां से परमार्थ निकेतन की दूरी करीब 15 किलोमीटर है। हरिद्वार में एक शाम की आरती देखकर आप ऋषिकेश आकर दूसरे दिन की आरती में शामिल हो सकते हैं। देहरादून के जौली ग्रांट एयरपोर्ट उतरकर भी यहां पहुंचा जा सकता है। इस एयरपोर्ट से परमार्थ निकेतन की दूरी करीब 20 किलोमीटर है। त्रिवेणी घाट के लिए हरिद्वार से भी कैब मिलती है। नई दिल्ली से ऋषिकेश पहुंचने में करीब 5 घंटे लगते हैं।
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