लहसुन-प्याज व्रत में क्यों नहीं खाना चाहिए

लहसुन-प्याज (Garlic-Onion) के फायदे बहुत हैं, पर व्रत में इनके सेवन से मनाही होती है। इसके पीछे कई कारण हैं। कई हिन्दू शास्त्रों के अनुसार प्याज और लहसुन निचले दर्जे की भावनाओं जैसे अज्ञानता और उत्तेजना को बढ़ावा देते हैं, इसलिए सात्विक लोगों को इनके इस्तेमाल से बचना चाहिए। प्राचीन मिस्र, चीन और जापान में भी एक बड़े वर्ग का मानना है कि लहसुन और प्याज गर्म तासीर वाले स्वभाव के होते हैं। इनके सेवन से शरीर में कामेच्छा को बढ़ावा मिलता है।

आयुर्वेद का सात्विक खाद्य पदार्थ पर जोर

आयुर्वेद सभी खाद्य पदार्थों को 3 श्रेणियों में बांटता है : 1. सात्विक। 2. राजसिक। 3. तामसिक। इसके अनुसार व्रत में हमारा खान-पान सात्विक और आचार-विचार पवित्र होना चाहिए।

सात्विक : इन खाद्य पदार्थों के सेवन से संयम और शांति का विकास होने के साथ ही पवित्रता को बढ़ावा मिलता है। हरी सब्जियां-फल और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थ इस श्रेणी में आते हैं।

राजसिक : इस श्रेणी के खाद्य पदार्थ शरीर मे जुनून पैदा करते हैं, साथ ही इनसे खुशी का विस्तार होता है। मसालेदार और ज्यादा पकाई हुईं वस्तुएं इसमें शामिल होती हैं। इस श्रेणी में लहसुन-प्याज शामिल होता है।

तामसिक : ये सबसे नीचे की श्रेणी मानी जाती है। इसमें मांस-मदिरा, अंडा, लहसुन-प्याज आदि खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। इनके सेवन से शरीर में अहंकार, उत्तेजना और कामवासनाओं को बढ़ावा मिलता है।

यह है मान्यता

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु जब मोहिनी के रूप में अमृत बांट रहे थे, तभी वेश बदलकर बैठे राहु और केतु नामक राक्षसों को भी अमृत की बूंदें मिल गईं। हालांकि पता चलने पर विष्णु ने उनके सिर धड़ से अलग कर दिए थे, पर तब तक अमृत की बूंदें उनके मुख तक पहुंच चुकी थीं, इसीलिए ये दोनों राक्षस अमर हो गए। जब इनके सिर धड़ से अलग हुए तब अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं। ऐसा माना जाता है कि इन्हीं से प्याज और लहसुन उपजे, इसलिए सेहत के लिए ये अमृत के समान फायदेमंद होते हैं। चूंकि ये राक्षसों के मुख से होकर नीचे गिरे, इसलिए ये अपवित्र और निचले लक्षण वाले माने गए।

यह भी कारण है कि लहसुन-प्याज को व्रत के दौरान खान-पान से दूर रखा जाता है। हालांकि यह भी सच है कि विज्ञान इसको नहीं मानता।

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