दही जाड़े में भी क्यों खानी चाहिए ?
आहार विशेषज्ञों का एक वर्ग जाड़े में दही (Curd/ Yogurt) खाने से बचने की सलाह देता है, पर बहुत से डॉक्टरों का मानना है कि जाड़े में भी दही का सेवन जरूरी है। इन डॉक्टरों के अनुसार चूंकि दही में कई विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनको त्यागने का मतलब खुद से सेहत को नुकसान पहुंचाना है। दही में मौजूद विटामिन A, विटामिन B12, कैल्शियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, रिबोफ्लेविन और जिंक कई तरह से लाभकारी साबित होता है।
अलग-अलग दावे
आयुर्वेद के अनुसार जाड़े में दही के सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि इससे ग्रंथियों में स्राव बढ़ जाता है। इस कारण बलगम (Mucus) का स्राव ज्यादा होता है। इससे पूरे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में कफ, कोल्ड, सांस और अस्थमा के रोगियों की मुसीबत और बढ़ जाती है। हालांकि आधुनिक डॉक्टरों की मानें तो जाड़े में दही इस्तेमाल पूरी तरह छोड़ने के बजाय इसका प्रयोग शाम 5:00 बजे के बाद नहीं करना चाहिए। खाने में ताजी दही का इस्तेमाल बेहतर होता है। जाड़े में कभी भी फ्रिज से निकालकर दही न खाएं।
दही के मुख्य फायदे
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए
दही के अंदर सेलेनियम, मैग्नीशियम और जिंक की मात्रा पाई जाती है। ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाने में मददगार साबित होते हैं। दही में जीवित बैक्टीरिया या प्रोबियोटिक्स (Probiotics) होते हैं। ये भी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं। मजबूत प्रतिरोधक क्षमता बीमारियों को होने से रोकती है। दही के किण्वित (Fermented) होने और विटामिन C से भरपूर होने के कारण यह कफ और कोल्ड के इलाज में भी लाभदायक होती है।
पाचन में सुधार
एक अध्ययन में पाया गया कि आईबीएस (IBS) के जिन मरीजों ने कम से तीन हफ्तों तक दही का सेवन किया, उनमें सूजन या फुलाव (Bloating) और उनके मल (Stool) की आवृत्ति में काफी सुधार देखा गया। दही में मौजूद जीवित बैक्टीरिया की वजह से पेट की जलन खत्म होती है और पाचन में सुधार आता है। हालांकि यह तभी होता है जब दही स्वाभाविक तरीके से तैयार की जाए। हीट (Heat) या किसी अन्य कृत्रिम तरीके से तैयार दही में ये जीवित बैक्टीरिया मर जाते हैं, इसलिए यह उतनी फायदेमंद नहीं रह जाती है।
हड्डियों को मजबूती
दही हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में बहुत ही कारगर है। इसमें पाए जाने वाले कैल्शियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन और विटामिन D (कभी-कभी) ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) नामक बीमारी को रोकने में मददगार होते हैं। ओस्टियोपोरोसिस में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और इनके फ्रैक्चर होने का खतरा बना रहता है। यह बीमारी बुजुर्गों को ज्यादा होती है।
वजन घटाने में कारगर
200 ग्राम दही में 12 ग्राम प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। ज्यादा प्रोटीन के सेवन से ऐसे हॉर्मोन्स में वृद्धि होती है जो कम भूख का अहसास कराते हैं। इससे व्यक्ति कम कैलोरी ग्रहण करता है और उसका वजन नियंत्रण में रहता है। यह जरूर ध्यान रखें कि इस्तेमाल की जाने वाली आपकी दही लो-फैट (Low Fat) युक्त होनी चाहिए। बाजार में बिकने वाली बहुत सी दही में एडेड शुगर (Added Sugar) की मात्रा भी बहुत ज्यादा होती है। इससे वजन घटने के बजाए उल्टे और बढ़ने लगता है।
हृदय रोग और डायबिटीज में फायदेमंद
सेहत विशेषज्ञों के अनुसार दही के सेवन से ब्लड प्रेशर घटता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल की वृद्धि होती है। ब्लड प्रेशर ज्यादा होने से हृदय रोगों को बढ़ावा मिलता है। 2014 में हुई एक रिसर्च के अनुसार दही का सेवन टाइप 2 डायबिटीज को रोकने का काम करता है। दही दिमाग के लिए भी लाभकारी है, हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार इस दावे की पुष्टि के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत है।
ऐसा है तो न खाएं दही
लैक्टोज इन्टॉलरेंस (Lactose intolerance) या मिल्क एलर्जी के चलते बहुत से लोगों को दूध नहीं पचता है। ऐसे लोगों को दही खाने से भी बचना चाहिए। हालांकि दही के साथ यह समस्या उतनी नहीं होती, क्योंकि इसके बनने की प्रक्रिया के दौरान लैक्टोज टूट जाते हैं। लैक्टोज को तोड़ने में जीवित बैक्टीरिया भी काफी मददगार होते हैं। इसलिए दही को पचाना आसान होता है।
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