महाकालेश्वर मंदिर कब और कैसे जाएं, भस्म आरती की संपूर्ण जानकारी

मध्यप्रदेश के उज्जैन (Ujjain) में स्थित महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Mandir) देश के 12 ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) में से एक है। यहां गर्भगृह में दक्षिणामुखी शिवलिंग स्थित है, इसलिए इसकी काफी महत्ता है। सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में यह अनूठी विशेषता सिर्फ महाकालेश्वर में ही पाई जाती है, जो तांत्रिक परंपरा में बहुत खास मानी जाती है। यहां की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है। कार्तिक पूर्णिमा, वैशाख और दशहरे के दौरान यहां खास तौर पर मेले लगते हैं। हर वर्ष महाशिवरात्रि पर लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।

महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) की विशेषताएं

महाकालेश्वर मंदिर का वर्णन पुराणों में मिलता है। कालिदास समेत अन्य कवियों ने इसका उल्लेख किया है। महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में बंटा हुआ है। पहले तल पर महाकालेश्वर, दूसरे तल पर ओंकारेश्वर और तीसरे तल पर नागचंद्रेश्वर का दरबार सजा है। नागचंद्रेश्वर का दर्शन हर साल केवल नागपंचमी के दिन ही होता है। इनके कपाट केवल साल में एक बार खुलते हैं।

मंदिर का इतिहास

पुराणों में जिक्र आता है कि अवंतिका यानी उज्जैन भगवान शिव को बहुत प्रिय था। यहीं पर एक ब्राह्मण रहता था। वह शिव का उपासक था। जब अवंतिका में दूषण नाम के राक्षस का आतंक बढ़ गया तो ब्राह्मण ने उससे मुक्ति के लिए भगवान शिव की आराधना की। ब्राह्मण की आराधना से खुश होकर भगवान शिव धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने दूषण राक्षस का वध किया और नगर को आतंक से मुक्ति दिलाई। इसके बाद नगर के भक्तों के आग्रह पर भगवान शिव अवंतिका में ही महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए। ज्योतिर्लिंग को महाकालेश्वर इसलिए भी कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहीं से पूरी दुनिया का मानक समय निर्धारित होता था।

निर्माण और जीर्णोद्धार

महाकाल मंदिर का बहुत प्राचीन इतिहास है। 1235 ईस्वी में इल्तुतमिश ने इस मंदिर का विध्वंस करा दिया था। इल्तुतमिश ने शिवलिंग को मंदिर के पास स्थित जलस्रोत में फेंकवा दिया था। इस जलस्रोत को अब कोटितीर्थ के नाम से जाना जाता है। इल्तुतमिश द्वारा तोड़फोड़ कराए जाने के बाद समय-समय समय पर यहां के शासकों द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण करवाया गया।

भस्म आरती इसलिए है खास

महाकाल मंदिर में सुबह 4:00 बजे ही भस्म आरती की जाती है। इस दौरान ताजा मुर्दे की भस्म से महाकाल का श्रृंगार किया जाता है। इसमें भाग लेने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। भस्म आरती शुरू होने से 3-4 घन्टे पहले ही लाइन लगनी शुरू हो जाती है, इसलिए यहां पहले पहुंचें। आरती में शामिल होने के लिए बुकिंग करानी पड़ती है। बुकिंग मंदिर में ऑफलाइन भी होती है, पर इसमें पूरे दिन का समय निकल जाता है। इसकी बुकिंग ऑनलाइन और वो भी एक माह पहले कराना ज्यादा अच्छा रहता है। बुकिंग के समय आधार कार्ड या अन्य आईडी दिखाने की जरूरत पड़ती है। महाकाल का दर्शन करने ही तब जाएं जब भस्म आरती के लिए आपकी बुकिंग हो जाए, नहीं तो परेशान होना पड़ सकता है। भस्म आरती की ऑनलाइन बुकिंग यहां www.mahakaleshwar.nic.in कराएं।

नगर के एक मात्र राजा

ऐसी मान्यता है कि विक्रमादित्य के शासन के बाद उज्जैन में रात में कोई भी राजा रुक नहीं सकता, क्योंकि यहां के एक ही राजा हैं महाकाल। कहा जाता है जिसने भी ऐसा दुस्साहस किया, उसके साथ कोई न कोई अनहोनी हो गई।

इस तरह पहुंचें

उज्जैन का निकटतम हवाई अड्डा इंदौर है। यहां से इसकी दूरी 58 किलोमीटर है। उज्जैन रेलवे स्टेशन पहुंचकर भी महाकाल मंदिर जा सकते हैं। नई दिल्ली, मुंबई और कोलकाता से उज्जैन के लिए सीधी ट्रेन हैं। यह शहर सड़क मार्ग से भी सीधे तौर पर जुड़ा है।

उज्जैन में कहां ठहरें

भस्म आरती देखनी है तो आपको मंदिर के नजदीक ही कोई होटल लेना चाहिए। यहां आपको 700 से लेकर 2000 रुपये तक मे अच्छे होटल मिल जाएंगे। यहां महाकाल उज्जैन ट्रस्ट द्वारा संचालित भक्त निवास में सस्ते रूम मिल जाते हैं। यह मंदिर के एकदम नजदीक है। हालांकि, भक्त निवास के लिए पहले ऑनलाइन बुकिंग करानी पड़ती है।

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