अमरनाथ यात्रा पर कब-कैसे जाएं, टिकट रजिस्ट्रेशन की क्या है व्यवस्था, जानें पूरी जानकारी
अमरनाथ (Amarnath) को सभी तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है। यह हिंदुओं का बहुत प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। भगवान शिव ने यहां पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी, इसीलिए इसका नाम अमरनाथ पड़ा। यहां बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का खुद से निर्मित होना अपने आप में एक चमत्कार है। इसे हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। कहा जाता है कि पवित्र गुफा में निर्मित शिवलिंग का दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार काशी में शिवलिंग के दर्शन और पूजन से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य तीर्थ से सौ गुना अधिक पुण्य बाबा अमरनाथ के दर्शन करने से मिलता है। अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) हर वर्ष आयोजित की जाती है।
अमरनाथ गुफा कहां है, कैसे हुई इसकी खोज
जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में 17 हजार फीट से भी ज्यादा ऊंचाई वाले अमरनाथ पर्वत पर अमरनाथ गुफा स्थित है। गुफा की लंबाई 19 मीटर, चौड़ाई 16 मीटर और ऊंचाई 11 मीटर है। श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर दक्षिण कश्मीर में अमरनाथ गुफा स्थित है।
कहा जाता है कि अमरनाथ गुफा की खोज वर्ष 1850 में बूटा मलिक नाम के मुस्लिम चरवाहे ने की थी। भेड़-बकरियां चराते समय यहां उसकी एक साधु से मुलाकात हुई थी। उन्होंने उसे कोयले से भरा एक बैग दिया था। घर जाकर खोला तो उसमें कोयले की जगह सोने के सिक्के मिले। जब वह साधु का धन्यवाद करने वापस पहुंचा तो साधु गायब मिले, पर उसे गुफा में सफेद शिवलिंग चमकता मिला। उसने आकर यह बात सबको बताई और इस तरह से अमरनाथ गुफा की खोज हुई। बूटा मलिक के वंशजों ने कई दशकों तक अमरनाथ गुफा की रक्षा की। यहां भक्तों के चढ़ावे का एक तिहाई हिस्सा वर्ष 2000 तक बूटा मलिक के वंशजों को मिलता रहा। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने श्राइन बोर्ड का गठन किया और बूटा मलिक के वंशजों का दान का हिस्सा बंद हो गया। हालांकि, कई इतिहासकारों के अनुसार बूटा मलिक से पहले ही कई ग्रंथों में अमरनाथ गुफा का जिक्र मिलता है, इसलिए बूटा मलिक द्वारा गुफा की खोज की बात निराधार है।
अमरनाथ गुफा कैसे बनी
अमरनाथ गुफा 5,000 वर्ष पुरानी मानी जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने तीसरी आंख से आग का एक गोला छोड़ा जो एक पहाड़ी से टकराकर गहरी खाई बन गया। इसे अमरनाथ गुफा के रूप में जाना जाता है। यह भी कहा जाता है कि संसार के त्याग के प्रतीक के रूप में भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया। फिर पार्वती के साथ अमरनाथ गुफा में प्रवेश किया और दोनों बर्फ में लिंग के रूप में प्रकट हुए।
क्या है कबूतरों के जोड़े का रहस्य
कथाओं के अनुसार भगवान शिव जब पार्वती को अमरनाथ गुफा में अमरत्व का ज्ञान दे रहे थे तो वहां उन दोनों के अलावा कबूतर का एक जोड़ा भी था। उस जोड़े ने भी कथा सुन ली और अमर हो गया। कहा जाता है कि कबूतर का यह जोड़ा अमरनाथ गुफा में अब भी मौजूद रहता है। कुछ भाग्यशाली भक्तों को इनके दर्शन अब भी होते हैं।
अमरनाथ यात्रा कब शुरू होती है और कब तक चलती है
वैज्ञानिकों के अनुसार अमरनाथ गुफा में ऊपर से पानी की बूंदें टपकती हैं। पानी की बूंदों के जमने के बाद ही करीब दस फीट ऊंचा हिम शिवलिंग बनता है। गर्मी के कुछ दिनों को छोड़कर यह गुफा सालभर बर्फ से ढकी रहती है।
अमरनाथ यात्रा का सही समय मई से सितंबर के बीच होता है। सावन के महीने में अमरनाथ यात्रा काफी पुण्यकारी मानी जाती है। अमरनाथ की यात्रा आम तौर पर जुलाई में शुरू होकर अगस्त तक चलती है।
अमरनाथ के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे होगा
अमरनाथ यात्रा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन वेबसाइट
अमरनाथ यात्रा की ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ऑफिशियल वेबसाइट https://jksasb.nic.in पर जाकर की जा सकती है। यहां what’s new पर जाते ही click here to register लिखा हुआ ऑप्शन आता है। इसके बाद दिए हुए निर्देश का पालन करते जाएं। आपकी दी गई डिटेल्स को प्रमाणित करने के बाद श्राइन बोर्ड की तरफ से एक मेल भेजा जाता है। मेल भेजने के 24 घन्टे बाद पैसे का भुगतान करना होता है। कुछ दिन बाद इसी वेबसाइट पर Track application ऑप्शन पर जाकर अपने रजिस्ट्रेशन का स्टेटस चेक कर सकते हैं। यात्रा शुरू होने से करीब तीन महीने पहले इसके लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाता है। यात्रा शुरू होने के बाद तक भी रजिस्ट्रेशन होता रहता है।
ऐप के माध्यम से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन
श्राइन बोर्ड की बेबसाइट पर जाकर दिए गए लिंक से Shri Amarnathji App डाउनलोड कर भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन
अमरनाथ यात्रा के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन श्री अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड की ओर से निर्धारित बैंकों से कराया जा सकता है। इसकी जानकारी बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट https://jksasb.nic.in/index.html पर जाकर ली जा सकती है। यहां से बैंकों की सूची डाउनलोड कर सकते हैं।
अमरनाथ की यात्रा के लिए कौन करा सकता है रजिस्ट्रेशन
श्री अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अनुसार अमरनाथ यात्रा के लिए 13 से 70 साल के लोग पंजीकरण करा सकते हैं।
अमरनाथ की यात्रा के रजिस्ट्रेशन के लिए किन डाक्यूमेंट की जरूरत पड़ेगी
- यात्रा करने वाले व्यक्ति की 5 पासपोर्ट साइज फोटो
- आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र
- श्राइन बोर्ड से अधिकृत डॉक्टर की ओर से बनाया गया मेडिकल सर्टिफिकेट
अमरनाथ यात्रा का यह है पूरा रूट
अमरनाथ यात्रा के लिए दो रूट निर्धारित हैं : 1. पहलगाम और 2. बालटाल।
पहलगाम रूट
पहलगाम जम्मू से 315 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जम्मू से पहलगाम तक बस से पहुंचा जा सकता है। पहलगाम से अमरनाथ गुफा तक की यात्रा पैदल तय करनी पड़ती है। 34 किलोमीटर का सफर करीब 5 दिन में पूरा होता है। चंदनबाड़ी, पिस्सु, शेषनाग और पंचतरणी होते हुए अमरनाथ गुफा तक श्रद्धालु पहुंचते हैं।
बालटाल रूट
जम्मू से बालटाल की दूरी करीब 373 किलोमीटर है। बालटाल से गुफा पहुंचने के लिए करीब 12 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। यह रूट पहलगाम रूट से छोटा है, पर इस पर खतरे बहुत हैं। 2006, 2016 और 2017 में इस रूट पर आतंकी गाड़ियों को निशाना बना चुके हैं। बालटाल से दोमोल, बरारी और संगम होते हुए अमरनाथ गुफा तक पहुंचा जा सकता है।
अमरनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा
अमरनाथ यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर की बुकिंग भी श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर की जा सकती है। साइट पर आपको हेलीकॉप्टर बुकिंग का ऑप्शन मिलेगा। अपने साथ अधिकतम अपने 5 साथी यात्रियों की बुकिंग भी आप करा सकते हैं।
अमरनाथ यात्रा के दौरान क्या सावधानी बरतें
अमरनाथ की यात्रा बहुत मुश्किल है। यहां ठंड बहुत रहती है तथा बर्फ जमी रहती है। यात्रा के दौरान बारिश का मौसम होता है। इसलिए यात्रा के दौरान रेनकोट, विंडचीटर, स्टील की पानी की बोतल, बैट्री वाली टॉर्च, ट्रैकिंग छड़ी, फर्स्ट ऐड किट आदि रखनी जरूरी है। इसका ध्यान रखें।
अमरनाथ के लिए हेल्पलाइन नंबर
अमरनाथ यात्रा (2023) के लिए किसी भी तरह की जानकारी के लिए आप टोल फ्री नंबर 18001807198 या 18001807199 पर संपर्क कर सकते हैं।
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