दिल्ली का भूतिया मालचा महल (Malcha Mahal, New Delhi), जहां भटकती है एक रानी की आत्मा

दिल्ली के कई हॉन्टेड स्थानों के बारे में आपने सुना होगा पर मालचा महल (Malcha Mahal, New Delhi) की स्टोरी औरों से काफी दिलचस्प है। चाणक्यपुरी क्षेत्र स्थित मालचा महल में बेगम विलायत महल ने खुदकुशी कर ली थी। कहा जाता है कि विलायत महल की आत्मा आज भी यहां भटकती है। रात को यहां तरह-तरह की आवाजें सुनाई देती हैं। जंगल के बीच स्थित इस महल तक जाने का रास्ता भी काफी डरावना है। करीब 1 किलोमीटर तक जंगल के बीच से होकर यहां पहुंचना होता है। घने जंगल की वजह से यहां बंदर, सियार, गाय-बैल आदि जानवर घूमते मिल जाते हैं। यहां 15 साल से छोटे बच्चों के साथ जाने की मनाही है।

मालचा महल का इतिहास

मालचा महल का निर्माण 1325 ईस्वी में दिल्ली के तत्कालीन सुल्तान फिरोजशाह तुगलक द्वारा कराया गया था। तब इसका इस्तेमाल शिकारगाह (Hunting lodge) के रूप में किया जाता था। बाद में यह अवध के शासकों का निवास स्थल बन गया। बेगम विलायत महल अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह की पड़पोती थीं, इसलिए उन्होंने मालचा महल पर अपने स्वामित्व के लिए दावा किया था। कई वर्षों बाद बेगम विलायत महल को इस महल पर स्वामित्व प्रदान किया गया था। इसी से इस महल का नाम मालचा महल पड़ गया।

कौन थीं बेगम विलायत महल

मालचा महल में मौजूद बेगम विलायत महल की फाइल फोटो।

इतिहास के अनुसार लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह को अंग्रेजों ने 1856 में सत्ता से बेदखल कर दिया था। उनको कोलकाता की जेल में डाल दिया गया, जहां उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी 26 साल गुजारे। उसके बाद वाजिद अली का परिवार बिखर गया था। बेगम विलायत महल अपने को वाजिद अली की आखिरी वारिस बताती थीं। इसको देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1971 में कश्मीर में उन्हें रहने के लिए एक बंगला दिलवाया था। कहा जाता है कि बाद में वह बंगला जल गया और उसके बाद बेगम विलायत महल रहने के लिए दिल्ली आ गईं। उनके साथ उनकी बेटी राजकुमारी सकीना महल, बेटे राजकुमार अली रजा उर्फ साइरस, 7 नौकर और 13 खूंखार कुत्ते भी आए थे। वह दिल्ली रेलवे स्टेशन के वीआईपी लाउंज में करीब 10 वर्षों तक कब्जा जमाए रहीं। वह अपने लिए मुआवजे के तौर महल की मांग कर रही थीं। कहा जाता है कि वह अपने साथ सांप का जहर रखती थीं और धमकी देती थीं कि अगर उनको स्टेशन से जबरन हटाने की कोशिश की गई तो वह यह जहर निगलकर जान दे देंगी। अंततः तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा 1985 में बेगम विलायत महल को मालचा महल का मालिकाना हक दे दिया गया और इसके बाद वह यहां रहने लगीं।

क्यों कहा जाता है भूतिया महल

मालचा महल में रहते हुए 10 सितंबर 1993 को बेगम विलायत महल ने 62 वर्ष की उम्र में कुचले हुए हीरे को निगलकर आत्महत्या कर ली थी। उनका शव यहां 10 दिनों तक पड़ा रहा। बाद में उनके बेटे-बेटी ने उनके शव को महल परिसर में ही कब्र में रख दिया। 24 जून 1994 को खजाने की खोज में कुछ लोग महल में घुस आए। बेगम विलायत महल के बेटे और बेटी को डर हो गया कहीं ये लोग उनकी मां की कब्र न खोद दें। फिर दोनों खुद उनकी कब्र खोदकर उनकी बॉडी जला दी और उनकी राख को एक बर्तन में रख दिया।

बेगम सकीना महल और प्रिंस अली रजा के बारे में

वर्ष 1988 में मालचा महल की छत पर मौजूद प्रिंसेस सकीना महल और प्रिंस अली रजा उर्फ साइरस।

बेगम विलायत महल की मौत के बाद से ही बेगम सकीना महल और प्रिंस अली रजा अपने कुत्तों और नौकरों के साथ अलग-थलग रहने लगे। एक-एक कर कुत्ते और नौकर मरते गए। कुछ कुत्तों को तो उन लोगों ने मार दिया, जो अक्सर महल से खजाना लूटने की फिराक में लगे रहते थे। 2 सितंबर 2017 को मालचा महल में प्रिंस अली रजा मृत पाए गए थे। इनके अंतिम संस्कार के लिए जब कोई नहीं आया तब कई दिन बाद दिल्ली पुलिस ने वक्फ बोर्ड की मदद से दिल्ली गेट के पास उनके शव को दफन करवा दिया था। इससे कुछ महीने बेगम सकीना महल का इंतकाल हो गया। इस तरह से नवाब के परिवार ने गुमनामी की जिंदगी जीते हुए दम तोड़ दिया।

बाहरी को गोली मार दी जाएगी

महल तक आने और मिलने को किसी को इजाजत नहीं थी। महल के गेट पर ही लिखा था कि यहां किसी बाहरी व्यक्ति को देखते ही गोली मार दी जाएगी। बेगम सकीना महल और प्रिंस अली रजा सिर्फ विदेशी पत्रकारों को छोड़कर किसी और से नहीं मिलते थे।

दुनिया से रहा यह गिला

बेगम सकीना महल और प्रिंस अली रजा बहुत पढ़े-लिखे थे। सकीना महल ने तो अपनी मां के ऊपर एक किताब भी लिखी थी। किताब का नाम है -‘प्रिंसेस विलायत महल : अनसीन प्रेजन्स’। सकीना महल ने न्यूयॉर्क टाइम्स को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि मुझे यह समझ आ गया है कि ये दुनिया कुछ नहीं है। ये क्रूर प्रकृति हमारी बर्बादी में खुश होती है। हम जिंदा लाशों के खानदान बन गए हैं। सकीना महल कहती थीं कि आम होना एक जुर्म ही नहीं है, बल्कि पाप है। बेगम विलायत महल और उनके बेटे-बेटी अपने अतीत को भुला नहीं सके। वो मरने तक खुद को नवाब की तरह समझते रहे और दुनिया से उन्हें कोई पूछने नहीं गया।

1. मालचा महल के बाहर अवध के नवाब का लगा बोर्ड। 2. महल के बाहर बाहरी व्यक्ति को गोली मारने का लगा बोर्ड। 3. महल में बेगम विलायत महल का डायनिंग टेबल। 4. मालचा महल में छत पर जाने की सीढ़ी।

मालचा महल में क्या घूमें

मालचा महल मुख्य मार्ग से करीब 1 किलोमीटर अंदर है। यह रास्ता जंगल-झाड़ से गुजरता है और यहां तक पैदल जाना पड़ता है। महल तक जाने के लिए रास्ता ऐसे बना है कि आगे जाने पर पीछे का रास्ता दिखाई नहीं पड़ता। महल में काफी अंधेरा रहता है। इसमें कोई खिड़की नहीं है। सांप, चमगादड़, छिपकलियों का यहां बसेरा है। महल में जहां-तहां अब भी विलायत महल और उनके बेटे-बेटी के प्रयोग किए हुए सामान (टूटी हुई डायनिंग टेबल, बर्तन, किताबें, फटे कपड़े आदि) दिख जाते हैं। महल की छत पर जाने के लिए छोटी-छोटी सीढ़ियां बनी हुई हैं। यहां से राष्ट्रपति भवन साफ दिखाई देता है। छत पर काफी जगह है। कुछ लोगों के अनुसार रात में यहां डरावनी आवाजें सुनाई पड़ती हैं।

मालचा महल घूमने के लिए कितने रुपये का टिकट, कहां होगी इसकी बुकिंग

दिल्ली सरकार का पर्यटन विभाग हर शनिवार और रविवार को दिल्ली की हॉन्टेड वाक के तहत मालचा महल की सैर कराता है। हर वीकेंड पर हॉन्टेड वाक शाम 5:30 बजे से शाम 7:30 बजे तक कराई जा रही है। इसकी बुकिंग दिल्ली पर्यटन विभाग की वेबसाइट delhitourism.gov.in पर की जा सकती है। इसका प्रति व्यक्ति टिकट 800 रुपये है। इस मालचा महल टूर के दौरान स्टोरी टेलर व गाइड भी साथ रहेंगे। इसके अलावा एक बैग दिया जाएगा, जिसमें पानी की बोतल, कैप, एक फल और जूस आदि होगा। इस हॉन्टेड हेरिटेज वाक में एक बार में अधिकतम 20 और कम से कम छह लोग शामिल हो सकते हैं।

 

मालचा महल से पहले जंगल का रास्ता।

मालचा महल कैसे पहुंचें

मालचा महल दिल्ली के चाणक्यपुरी क्षेत्र में स्थित है। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद (इसरो) के दिल्ली अर्थ स्टेशन के एकदम पास है। धौलाकुआं या लोककल्याण मेट्रो स्टेशन से मालचा महल एकदम नजदीक है। मालचा महल से लोककल्याण मेट्रो स्टेशन की दूरी 3.4 किलोमीटर और धौलाकुआं मेट्रो स्टेशन की दूरी 4.3 किलोमीटर है। यहां से महल तक ऑटो या ई-रिक्शा से जाया जा सकता है। टैक्सी आदि से भी मालचा महल तक पहुंच सकते हैं।

मालचा महल के आसपास और क्या देखें

मालचा महल टूर के दौरान नेशनल म्यूजियम, इंडिया गेट, नेशनल वॉर मेमोरियल, लालकिला, हुमायूं का मकबरा आदि स्थानों पर घूमा जा सकता है। इसके लिए पर्याप्त समय लेकर चलना चाहिए।

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