पेट में लगातार ऐंठन और दर्द..कहीं IBS के शिकार तो नहीं

पेट में दर्द या मरोड़, मल त्याग में परेशानी या बेचैनी और कब्ज की दिक्कत अगर लगातार बनी हुई है तो आप इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) के शिकार हो सकते हैं। आईबीएस आंतों का रोग है। इस बीमारी को इरिटेबल कोलोन या म्यूकस कोलाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग से सालों-साल तक परेशानी बनी रह सकती है। इसकी वजह से दिनचर्या पर काफी प्रतिकूल असर पड़ता है और जीवन कष्टकर बन जाता है।

महिलाओं को ज्यादा खतरा

50 से कम उम्र के लोगों में आईबीएस होने का खतरा ज्यादा होता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में दोगुने स्तर पर यह बीमारी पाई जाती है। यह बीमारी आनुवंशिक भी हो सकती है। इस रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन दवा, खान-पान में परिवर्तन, मनोवैज्ञानिक सलाह और प्रयोग से इसके असर को कम किया जा सकता है। बहुत ज्यादा दिक्कत होने पर डॉक्टर को दिखाना ठीक रहता है, क्योंकि यह पेट के कैंसर का संकेत हो सकता है।

आईबीएस के लक्षण

पेट में दर्द या मरोड़, पेट में गैस बनना, कब्ज और डायरिया इसके मुख्य लक्षण हैं। हालांकि मल त्याग के बाद पेट में मरोड़ या दर्द ठीक हो जाता है। इस बीमारी में कई मरीजों के मल में बलगम आने लगता है। उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन, वजन कम होने और हाथ-पैर में सूजन की समस्या भी सामने आती है। इसके मरीजों को महसूस होने के तुरंत बाद टॉयलेट जाने की आवश्यकता होती है। इसमें देरी से पेट में गैस, मरोड़ और दर्द की दिक्कत बढ़ जाती है।

क्यों होता है यह रोग

हमारी आंतों की सतह से मांसपेशियों की परतें संबद्ध होती हैं, जो नियमित तौर पर फैलती या सिकुड़ती रहती हैं। ये भोजन को आंत्र नली के माध्यम से मलाशय तक पहुंचाने का काम करती हैं। जब इनका संकुचन सामान्य से अधिक तेज या लंबे समय के लिए होता है तब पेट में गैस, दर्द या सूजन की समस्या उत्पन्न होती है। कमजोर आंतों के संकुचन से भी भोजन का मार्ग धीमा हो सकता है। इससे मल कठोर और शुष्क होता है। पाचनतंत्र की नसों में असामान्यताओं की वजह से भी गैस या कब्ज की दिक्कत होती है। इसके अलावा आंतों में सूजन और इंफेक्शन की वजह से आईबीएस विकसित होता है।

रोग के प्रमुख कारण

ज्यादा तनाव, नींद पूरी न हो पाना, अनियमित दिनचर्या और खानपान इस रोग के मुख्य कारण माने जाते हैं। आईबीएस के मरीजों को ज्यादा तनाव की स्थिति में भी दिक्कत बढ़ जाती है। कभी-कभी बहुत तेज सिरदर्द भी होने लगता है। महिला मरीजों को पीरियड्स के दौरान ज्यादा परेशानी होती है।

ऐसे मिल सकती है राहत

पेट और आंत रोग विशेषज्ञों के मुताबिक आईबीएस की स्थिति में ये उपाय किए जा सकते हैं, जिनसे काफी राहत मिलती है :

  • बहुत से लोग जब डेयरी उत्पाद, पत्ता गोभी, बीन्स, खट्टे फल, गेहूं का आटा, कैफीनयुक्त पेय पदार्थ आदि का सेवन करते हैं तो उनकी दिक्कत बढ़ जाती है। यह दिक्कत अलग-अलग मरीजों को अलग-अलग या कम-ज्यादा महसूस हो सकती है। इसलिए ऐसे मरीजों को इन खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
  • ऐसे मरीजों को छोटे-छोटे आहार एक निश्चित अंतराल पर लेना चाहिए। एक ही बार में बहुत ज्यादा खाने से भी परेशानी बढ़ सकती है।
  • रोज के आहार में बहुत ज्यादा तैलीय खाद्य पदार्थ के सेवन से बचना चाहिए। खाना ज्यादा स्पाइसी और डीप फ्राई भी नहीं होना चाहिए।
  • आईबीएस के मरीजों को अपनी दिनचर्या में एक्सरसाइज को शामिल करना चाहिए। नियमित एक्सरसाइज से काफी राहत मिलती है।
  • तनाव कम करने के साथ ही पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। आठ घन्टे की नींद पर्याप्त मानी जाती है। तनाव कम करने के लिए काउंसलिंग या थेरेपी का सहारा लिया जा सकता है।
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