राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan, New Delhi) : क्या देखें, खुलने के दिन, कब-कैसे जाएं
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली (Rashtrapati Bhavan, New Delhi) दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के राष्ट्रपति का निवास स्थल है। इसकी भव्यता और बनावट इसे खास बना देती है। यह भवन कभी पहले ब्रिटिश वायसराय का निवास स्थान हुआ करता था। इसे तब वायसराय हाउस कहा जाता था। 1950 में देश के प्रथम राष्ट्रपति बनने पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस भवन में रहना शुरू किया। तब से इस भवन को राष्ट्रपति भवन (President House) के नाम से जाना जाता है। चार मंजिला इस विशाल भवन में 340 कमरे हैं और इसमें 355 सुसज्जित कक्ष हैं। राष्ट्रपति भवन 19,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह भवन दुनिया के किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के आवास से बड़ा है। राष्ट्रपति भवन में आप मुख्य इमारत, सेंट्रल लॉन, म्यूजियम कॉम्प्लेक्स और मुगल गार्डन की खूबसूरती और भव्यता को निहार सकते हैं। वायसराय का सिंहासन भी यहां स्थित है।
17 वर्ष में निर्माण, 14 मिलियन रुपये का खर्च
राष्ट्रपति भवन का निर्माण 1912 में आरंभ हुआ था, जो 1929 तक चला। हालांकि, यह पूरी तरह 1931 में बनकर तैयार हुआ। यह भवन तब अस्तित्व में आया, जब 1911 में भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित किया गया। इस भवन को बनाने के लिए जगह के रूप में रायसीना की पहाड़ी तय की गई। इस इमारत के प्रमुख वास्तुकार एडवर्ड लुटियंस थे। हर्बर्ट बेकर ने भी इसके डिजाइन में मदद की थी। इस भवन के निर्माण के लिए 4,00,000 पौंड की राशि तय की थी। लंबे चले निर्माण कार्य के चलते बाद में इसकी लागत बढ़ गई। राष्ट्रपति भवन के अलावा मुगल गार्डन और कर्मचारियों के आवास का खर्च जोड़ दिया जाए तो इस पर कुल 14 मिलियन रुपये का खर्च आया। इस भवन के निर्माण में 700 मिलियन ईंटों और 3.5 मिलियन घन फीट पत्थर का प्रयोग हुआ है। इसको बनाने में लोहे का नगण्य इस्तेमाल किया गया। अब से पांच वर्ष पहले राष्ट्रपति भवन की कीमत 35,00 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
जब मुख्य शयन कक्ष लगा ज्यादा आडंबरपूर्ण
प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी जब राष्ट्रपति भवन में रहने आए तो उन्हें यहां का मुख्य शयन कक्ष ज्यादा आडंबरपूर्ण लगा। इस कारण से वह अतिथि कक्ष में रहने लगे। वह 1948 से 1950 तक गवर्नर जनरल रहे। इसके बाद से सभी राष्ट्रपति के लिए इसमें रहने के लिए एक परंपरा बन गई।
गुम्बद और जालियां आकर्षण का केंद्र
राष्ट्रपति भवन का प्रमुख आकर्षण इसके ढांचे के ऊपर स्थापित गुम्बद है। यह काफी दूर से दिखाई देता है तथा इसे खास बना देता है। वास्तुकार लुटियंस के अनुसार इस गुम्बद का डिजाइन रोम के पैंथियंस से लिया गया था, लेकिन भारतीय इतिहास के जानकारों के अनुसार इस गुम्बद पर मध्य प्रदेश के सांची स्तूप की बनावट की झलक साफ दिखाई देती है। यह पूरी इमारत भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इमारत में बने परंपरागत छज्जे और लाल बलुआ पत्थर से बनीं जालियां सबका ध्यान आकर्षित करती हैं। भवन पर बनीं छतरियों में घण्टियां बनाई गई हैं। बाहर के स्तंभों पर हाथी बनाए गए हैं। राष्ट्रपति भवन के पास ही शानदार फव्वारा बनाया गया है। लाइट के साथ इसकी सजावट देखते ही बनती है। भवन के सामने सजीं तोपें भी देखने को मिलती हैं।
145 फीट ऊंचा जयपुर स्तंभ
राष्ट्रपति भवन के ठीक सामने जयपुर स्तंभ खड़ा दिखाई देता है। यह 145 फीट ऊंचा है। इसे जयपुर के तत्कालीन महाराजा द्वारा भारत सरकार को शुभकामना के तौर पर भेजा गया था। इसमें कमल पर सितारा लगा हुआ है। यह चांदी का शुभकामना प्रतीक स्तंभ के ऊपर लगा है।
अमृत उद्यान (मुगल गार्डन) में 250 तरह के गुलाब
राष्ट्रपति भवन के पीछे दिलकश मुगल गार्डन है। यहां विश्वभर के एक से बढ़कर रंग-बिरंगे मनमोहक फूल देखने को मिलते हैं। इस गार्डन में अकेले गुलाब की 250 से अधिक किस्में मौजूद हैं। जनवरी 2023 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से इस गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया गया।
राष्ट्रपति भवन में कब, क्या देखें
राष्ट्रपति भवन के तीन सर्किट घूमने के लिए दिन इस प्रकार निर्धारित किए गए हैं :
सर्किट-1
राष्ट्रपति भवन की मुख्य इमारत और सेंट्रल लॉन।
(हफ्ते में गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार को खुला।)
सर्किट-2
राष्ट्रपति भवन संग्रहालय परिसर (अस्तबल, गैरेज, घण्टाघर आदि)
(हफ्ते में सोमवार को छोड़कर बाकी दिन खुला)
सर्किट-3
मुगल गार्डन और अन्य बगीचे
(अगस्त से मार्च तक : गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार को खुला)
सभी सर्किट के लिए समय
सुबह 9:00 से शाम 4:00 बजे तक।
राष्ट्रपति भवन घूमने जाने के लिए बुकिंग यहां कराएं
http://rashtrapatisachivalaya.gov.in/rbtour/
पंजीकरण के लिए शुल्क
प्रति व्यक्ति 50 रुपये (ऑनलाइन भुगतान की सुविधा)।
आठ वर्ष से कम आयु वाले बच्चों के लिए पंजीकरण का कोई शुल्क नहीं है।
राष्ट्रपति भवन में भ्रमण के लिए एंट्री यहां से करें
राष्ट्रपति भवन में घूमने के लिए आप राष्ट्रपति भवन के गेट नंबर 2 (राजपथ), गेट नंबर 7 (डलहौजी रोड-हुकमी माई मार्ग की ओर) और गेट नंबर 38 (चर्च रोड-ब्रासी एवेन्यू की ओर से) से प्रवेश कर सकते हैं।
टूर से पहले इन बातों का रखें ध्यान
- राष्ट्रपति भवन घूमने आने के दौरान आपके पास वैध फोटो आईडी कार्ड जरूर होना चाहिए। विदेशी यात्रियों को अपना मूल पासपोर्ट लेकर आना होगा।
- ईमेल या एसएमएस से पुष्टि का मैसेज मिलने पर ही आपकी बुकिंग मान्य समझी जाएगी।
- राष्ट्रपति भवन में भ्रमण के दौरान यहां के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन अवश्य करें।
चेंज ऑफ गॉर्ड ऑनर समारोह के दिन
हफ्ते में हर शनिवार और रविवार को।
चेंज ऑफ गॉर्ड ऑनर समारोह के लिए बुकिंग यहां करें :
https://rb.nic.in/rbvisit/visit_plan.aspx
इसका ध्यान रखें
- चेंज ऑफ गॉर्ड ऑनर समारोह के लिए फोटो आईडी कार्ड लेकर आना होगा।
- सीट उपलब्ध होने पर ही इसमें एंट्री मिलती है। यह पूरी तरह निशुल्क है।
- प्रवेश के लिए कम से कम 45 मिनट पहले जरूर पहुंच जाएं।
राष्ट्रपति भवन टूर के दौरान पार्किंग यहां करें
सर्किट-1 और सर्किट-3 भ्रमण के लिए पार्किंग : राष्ट्रपति भवन के अंदर (केवल हल्के वाहनों के लिए)। यह गेट नंबर 4 के ठीक सामने है।
भारी वाहनों के लिए प्रवेश की अनुमति : गेट नंबर 37 से।
सर्किट-2 : राष्ट्रपति भवन म्यूजियम के लिए पार्किंग : गेट नंबर 30 के पास (मदर टेरेसा क्रिसेंट रोड, तालकटोरा स्टेडियम)।
राष्ट्रपति भवन में फोटोग्राफी की अनुमति है या नहीं ?
राष्ट्रपति भवन में सुरक्षा कारणों से कैमरा ले जाने की अनुमति नहीं है। आप मोबाइल लेकर जा सकते हैं, पर अंदर उसे स्विच ऑफ मोड पर रखना होता है। राष्ट्रपति भवन के बाहर आप मोबाइल से फोटो ले सकते हैं।
कैसे पहुंचें
राष्ट्रपति भवन तक पहुंचने के लिए नजदीकी मेट्रो स्टेशन यलो लाइन स्थित सेंट्रल सेक्रेट्रिएट है। यहां से राष्ट्रपति भवन की दूरी करीब 700 मीटर है। ब्लू लाइन स्थित बाराखंबा रोड मेट्रो स्टेशन उतरकर भी ऑटो या टैक्सी से राष्ट्रपति भवन तक पहुंच सकते हैं। डीटीसी की बस, टैक्सी या खुद की गाड़ी से भी सीधे राष्ट्रपति भवन पहुंचा जा सकता है।
राष्ट्रपति भवन टूर के लिए हेल्पलाइन नंबर
011-23013287, 23015321
आसपास क्या घूमें
राष्ट्रपति भवन के टूर के दौरान आप आसपास कई अन्य प्रमुख स्थानों पर भी घूम सकते हैं। नेशनल म्यूजियम, नेहरू तारामंडल, गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब, तीन मूर्ति भवन, इंडिया गेट और जंतर-मंतर राष्ट्रपति भवन से करीब तीन किलोमीटर के दायरे में ही स्थित है।
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