तुगलकाबाद के अभिशापित किले के बारे में जानें सब कुछ, क्यों जाएं घूमने
तुगलकाबाद किला (Tughlaqabad Fort) दिल्ली (Delhi) के प्राचीन किलों में से एक है। दिल्ली घूमने वालों को एक बार यहां जरूर जाना चाहिए। तुगलक वंश के संस्थापक गयासुद्दीन तुगलक ने इस किले को दिल्ली के तीसरे ऐतिहासिक शहर के रूप में स्थापित किया था। इसे दिल्ली का बर्बाद किला कहा जाता है, पर इसकी बनावट में प्रयुक्त इस्लामिक वास्तुकला की झलक देखने योग्य है। इसे ग्रेनाइट पत्थरों से बनाया गया है। किले में सुरंग के अंदर मौजूद मीना बाजार और बिजई मंडल के अवशेष आज भी आकर्षण के केंद्र हैं।
किले का इतिहास
कहा जाता है दिल्ली के खिलजी शासकों का जागीरदार गाजी मलिक ने अपने राजा के साथ टहलते हुए एक बार कहा कि दक्षिण दिल्ली में एक किला बनवाया जाना चाहिए। तब राजा ने उससे मजाक में कहा था कि जब खुद राजा बन जाना तब यह किला बनवा लेना। बाद में यह बात सच साबित हुई और राजा को खदेड़ कर गाजी मलिक खुद दिल्ली की गद्दी पर बैठ गया। उसने तुगलक वंश की स्थापना करते हुए 1321-25 के बीच में तुगलकाबाद किले का निर्माण कराया। इस किले की कल्पना मंगोलों के आक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए अभेद्य दुर्ग के रूप में की गई थी। 1327 में इस किले को छोड़ दिया गया।
अभिशापित किले का रहस्य
तुगलकाबाद किले को अभिशापित किला भी कहा जाता है। किवदंती के अनुसार गयासुद्दीन तुगलक इस किले को जल्दी बनवाने में इतना तल्लीन था कि वह चाहता था नगर के सारे मजदूर इस किले के निर्माण के लिए ही काम करें। उसी समय प्रसिद्ध सूफी संत निजामुद्दीन औलिया की बावली (कुएं) पर काम चल रहा था। बावली का काम रुकने से संत नाराज हो गए और उन्होंने इस शहर के जल्द उजड़ जाने का श्राप दिया था।
किले के प्रमुख आकर्षण
किले में सुरंग के अंदर मीना बाजार बना हुआ था। यह आज भी इसके अवशेष मौजूद है। इसके अंदर जाकर आप देख सकते हैं। पास ही ऊंचाई पर बने बिजई मंडल से पूरे दिल्ली का विहंगम नजारा दिखाई पड़ता है। किले के अंदर गयासुद्दीन तुगलक, उसकी पत्नी और उसके बेटे मुहम्मद बिन तुगलक की समाधि बनी हुई है। इस किले में कभी 52 द्वार थे, हालांकि अभी 13 द्वार ही मिलते हैं। इस किले की दीवारें 10 से 15 मीटर तक ऊंची है।
किले के खुलने का समय
तुगलकाबाद किला जब भी घूमने जाएं, कम से कम दो घन्टे का समय लेकर जरूर जाएं। तभी आप यहां आसानी से घूम सकते हैं और मोबाइल से फोटोग्राफी भी कर सकते हैं। यह किला प्रतिदिन सुबह 7:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है।
किले की टिकट दर
किले में प्रवेश के लिए प्रति वयस्क 25 रुपये का टिकट है। 15 वर्ष से नीचे वालों का प्रवेश निशुल्क है। विदेशी पर्यटकों के लिए प्रति टिकट 200 रुपये का शुल्क निर्धारित है। वैसे यह किला देखने आप कभी भी जा सकते हैं पर नवंबर से मार्च के बीच यहां घूमने जाना बेहतर होता है।
तुगलकाबाद किला कैसे पहुंचें
तुगलकाबाद किले तक जाने के लिए नजदीकी मेट्रो स्टेशन तुगलकाबाद मेट्रो स्टेशन है। यहां से किले की दूरी 3 किलोमीटर है। इस मेट्रो स्टेशन पर उतरकर आप टैक्सी या ऑटो से किले तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली एयरपोर्ट से इसकी दूरी 20 किलोमीटर और दिल्ली रेलवे स्टेशन से 25 किलोमीटर है। यह महरौली-बदरपुर रोड पर स्थित है। यहां सड़क मार्ग से जाना बहुत आसान है।
आसपास के पर्यटक स्थल
तुगलकाबाद किले के आसपास कई महत्वपूर्ण स्थल हैं। किले के टूर के दौरान आप इन स्थानों पर भी जा सकते हैं। कर्णी शूटिंग रेंज की यहां से दूरी मात्र 2.1 किलोमीटर है। कालका मंदिर भी किले के पास ही (7.2 किलोमीटर) स्थित है। कुतुब मीनार की यहां से दूरी करीब 8 किलोमीटर है। तुगलकाबाद किला घूमने जाएं तो पास स्थित (2.4 किलोमीटर) असोला भाटी वन्य जीव अभ्यारण्य जरूर घूमने जाएं, पर यहां घूमने जाने के लिए अपनी गाड़ी होनी जरूरी है। असोला भाटी अभ्यारण्य के अंदर आखिरी प्रवेश दिन के 1:00 बजे तक ही है। यहां से फरीदाबाद स्थित बड़खल लेक करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर ही है।
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