गंगोत्री धाम दर्शन की पूरी जानकारी, कब-कैसे जाएं और कहां ठहरें
हिंदुओं के चार प्रमुख धामों (Char dhams) में गंगोत्री (Gangotri) का प्रमुख स्थान है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिला स्थित गंगोत्री की समुद्र तल से ऊंचाई 3,753 मीटर है। मान्यता के अनुसार भगवान शिव की जटा से निकलने के बाद पवित्र नदी गंगा ने यहीं पर धरती को स्पर्श किया था। यहां गंगा मैया का मंदिर बना हुआ है, जिसके दर्शन करने हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। गंगा का उद्गम स्थल गोमुख पर है। यह गंगोत्री ग्लेशियर में स्थापित है। गंगोत्री से यहां तक का कुल ट्रैक करीब 19 किलोमीटर का है।
मंदिर का इतिहास
गढ़वाल के गुरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने 18वीं सदी में उसी जगह पर गंगोत्री मंदिर का निर्माण करवाया था, जहां कभी राजा भागीरथ ने गंगा के लिए तप किया था। इससे पहले यहां सेमवाल पुजारियों द्वारा गंगा धारा की पूजा की जाती थी। 20वीं शताब्दी में जयपुर के राजा माधो सिंह द्वितीय ने गंगोत्री मंदिर की मरम्मत करवाई।
गंगोत्री कैसे पहुंचें
हवाई मार्ग
गंगोत्री का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून स्थित जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से जॉली ग्रांट एयरपोर्ट की दूरी करीब 168 किलोमीटर है। यहां से बस या टैक्सी के जरिए गंगोत्री पहुंचा जा सकता है। इस एयरपोर्ट से गंगोत्री की दूरी करीब 266 किलोमीटर है।
ट्रेन मार्ग
ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से पहुंचकर वहां से गंगोत्री जा सकते हैं। यहां से गंगोत्री के लिए बस या टैक्सी मिलती है। ऋषिकेश से गंगोत्री की दूरी 267 किलोमीटर, हरिद्वार से 288 किलोमीटर और देहरादून स्टेशन से 242 किलोमीटर है।
सड़क द्वारा
![](https://i0.wp.com/healthheadquarter.com/wp-content/uploads/2021/12/Gangotri-2.jpg?resize=719%2C630&ssl=1)
दिल्ली से गंगोत्री की दूरी और लगने वाला समय।
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 108 पर स्थित गंगोत्री धाम दिल्ली समेत उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से गंगोत्री धाम की दूरी करीब 503 किलोमीटर है। उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें और टैक्सी द्वारा आसानी से गंगोत्री पहुंच सकते हैं।
दर्शन करने जाने का सही समय
गंगोत्री में दिसंबर से मार्च तक बर्फ जमी रहती है, इसलिए यहां दर्शन करने जाने का सही समय अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर के बीच का रहता है। गंगोत्री के कपाट अक्षय तृतीया पर खुलते हैं और दिवाली के दिन बंद होते हैं।
कहां ठहरें
गंगोत्री मार्ग पर ठहरने के लिए कई स्थानों पर उचित प्रबंध किए गए हैं। निजी होटल, धर्मशालाओं और जीएमवीएन (गढ़वाल मंडल विकास निगम) के विश्राम गृह में ठहरा जा सकता है। जीएमवीएन के विश्राम गृह के लिए यहां बुकिंग करा सकते हैं।
आसपास के दर्शनीय स्थल
गंगोत्री के आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं। गंगोत्री धाम के साथ इन स्थानों पर जाकर अनुभव करना बहुत ही सुखद होता है :
गौमुख : भागीरथी नदी का उद्गमस्थल
गौमुख भागीरथी नदी का उद्गमस्थल है। यह 3,892 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गंगोत्री से यहां तक की दूरी पैदल या टट्टुओं के सहारे पूरी की जा सकती है। गौमुख की ट्रेकिंग उतनी मुश्किल नहीं है। इस ट्रेकिंग के लिए उत्तर काशी के जिला वन अधिकारी से अनुमति लेनी पड़ती है। गौमुख देश का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है। इसकी लंबाई 30 किलोमीटर और चौड़ाई 4 किलोमीटर है। यहां हिमालय की चोटियां आपको दिव्य अनुभव कराती हैं। गौमुख मार्ग ट्रैकर्स के लिए मई से अक्टूबर तक खुला रहता है। सर्दी में यहां भारी बर्फबारी होती है, इसलिए इसे बंद कर दिया जाता है।
नंदन वन : शिवलिंग चोटी का आकर्षण
नंदन वन की गौमुख से दूरी करीब 8 किलोमीटर है। यह भागीरथी ग्लेशियर के बेस पर 4330 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। नंदन वन की ट्रेकिंग बहुत ही रोमांचक होती है। इस ट्रेकिंग के दौरान आप गंगोत्री ग्लेशियर, शिवलिंग चोटियों, भागीरथी, सुदर्शन, थलय सागर और मेरू पर्वत के मनोरम दृश्य के गवाह बन सकते हैं।
मुखबा गांव : गंगा मंदिर के दर्शन
हर वर्ष दिवाली पर जब गंगोत्री मंदिर बंद होता है, तो देवी गंगा को एक जुलूस के रूप में इसी गांव में लाया जाता है और फिर यहीं पूजा होती है। इसी स्थान पर जाड़े के छह महीने तक पूजा के बाद फिर देवी को गंगोत्री लाया जाता है। इन छह महीनों के दौरान गंगोत्री में काफी बर्फ पड़ती है। मुखबा गांव 2620 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां देवी गंगा के दो मंदिर हैं। इसे जाड़े के चार धाम के एक हिस्से के रूप में जाना जाता है। यहां दर्शन करने आने के दौरान नजदीक स्थित हर्षिल और धराली में बने होटल में रुका जा सकता है।
केदारताल : मुश्किल ट्रेकिंग
केदारताल झील की गंगोत्री से दूरी तो करीब 14 किलोमीटर ही है, पर रास्ते ऊबड़-खाबड़ होने से यहां पहुंचना थोड़ा मुश्किल है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई करीब 15,000 फीट है। थलय सागर, भृगुपन्थ, जोगिन-1, जोगिन-2 तथा अन्य चोटियों के लिए यह आधार शिविर है। यहां जून से अक्टूबर के बीच घूमने जाना अच्छा रहता है। यहां की कैम्पिंग और फोटोग्राफी काफी शानदार होती है।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!