केदारनाथ मंदिर का बड़ा महात्म्य, यात्रा के बारे में जानें सब कुछ

केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) का हिंदुओं के चार धाम में महत्वपूर्ण स्थान है। उत्तराखंड (Uttarakhand) के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित इस मंदिर के दर्शन के लिए हर वर्ष लाखों श्रद्धालु देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं। केदारनाथ में स्थित स्वम्भू शिवलिंग की महिमा अपरम्पार है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। पहाड़ों के बीच मंदाकिनी नदी के पास स्थित यह मंदिर 3,562 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह कत्यूरी शैली में बना है। कहा जाता है कि केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा करने से यात्रा निष्फल रह जाती है।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास

केदारनाथ मंदिर के बारे में कई मान्यताएं हैं। कई स्थानों पर उल्लेख है कि पांडवों ने इस मंदिर की स्थापना की थी। हालांकि, अभी बना मंदिर आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया था। यह पांडवों के बनवाए गए पहले वाले मंदिर के बगल में स्थित है। कहा जाता है कि सतयुग में शासन करने वाले राजा केदार के नाम पर इसका नाम केदारनाथ मंदिर पड़ा। एक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि हिमालय के केदार शिखर पर तपस्या करते थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको दर्शन दिया और इन दोनों तपस्वियों के प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वचन दिया।

दूसरी मान्यता के अनुसार महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद पांडवों को भाई-बंधुओं की हत्या का पश्चताप होने लगा। इस पाप से मुक्ति के लिए वे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते थे, पर भगवान शिव उनसे नाराज थे। वो पांडवों को दर्शन देना नहीं चाहते थे। इसलिए अंतर्ध्यान होकर वो केदार पहुंच गए, पर पांडव पीछे-पीछे यहां भी पहुंच गए। तभी भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया और बाकी पशुओं में जा मिले। शक होने पर पांडवों में से भीम अपने दोनों पैर फैलाकर दो पहाड़ पर खड़े हो गए। उनके पैर के नीचे से बाकी पशु तो निकल गए पर बैल नहीं निकला। भीम बैल को पकड़ने के लिए दौड़े तो वह धरती में अंतर्ध्यान होने लगा। भीम ने बैल के त्रिकोणात्मक पीठ वाला हिस्सा पकड़ लिया। पांडवों की इस लगन पर खुश होकर आखिर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया और सभी पापों से मुक्त कर दिया।

मंदिर में पूजा और उसका समय

केदारनाथ मंदिर छह फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। इस मंदिर के तीन भाग हैं-गर्भ गृह, दर्शन मंडप (यहां भक्त खड़े होकर पूजा करते हैं) और सभामंडप। सभामंडप में तीर्थयात्री जमा होते हैं। मंदिर की छत लकड़ी से बनी है। उसके शिखर पर सोने का कलश प्रतिष्ठापित है। मंदिर परिसर में नंदी की विशाल प्रतिमा लगी है। केदारनाथ में बैल की पीठ की आकृति की पिंड के रूप में पूजा की जाती है। मंदिर भक्तों के लिए सुबह 6:00 बजे खुलता है। दोपहर 3:00 से 5:00 बजे तक यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। शाम को 7:30 से 8:30 बजे तक आरती होती है। इसके बाद मंदिर बंद हो जाता है।

दर्शन करने कब जाएं

केदारनाथ मंदिर के दर्शन के लिए अक्टूबर में जाना ठीक रहता है। यह मंदिर हर साल अप्रैल से मध्य नवंबर तक खुला रहता है। इसके बाद ज्यादा ठंड और बर्फबारी के चलते इसे फिर मार्च तक बंद कर दिया जाता है।

केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचें

हवाई मार्ग

केदारनाथ मंदिर जाने के लिए सबसे नजदीक एयरपोर्ट देहरादून स्थित जौली ग्रांट है। यहां के लिए दिल्ली समेत देश के बड़े शहरों से सीधी फ्लाइट है। यहां से केदारनाथ की दूरी करीब 238 किलोमीटर है। जौली ग्रांट से गौरीकुंड के लिए टैक्सी आसानी से मिल जाती है। गौरीकुंड से केदारनाथ की दूरी 16 किलोमीटर है। यह पैदल मार्ग है, बहुत ही कठिन चढ़ाई के बाद ही कोई केदारनाथ पहुंच पाता है। गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए पालकी और खच्चर सेवा भी उपलब्ध है। केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा फाटा, सेरसी और गुप्तकाशी से उपलब्ध है। फाटा गौरीकुंड के पास स्थित है। हेलिकॉप्टर सेवा का किराया प्रति व्यक्ति 4 हजार रुपये से अधिक है। गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए रोपवे लिंक भी प्रस्तावित है।

रेल मार्ग

केदारनाथ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। यह स्टेशन देश के बड़े शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। यहां उतरकर आप गौरीकुंड तक टैक्सी आदि से आसानी से पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी करीब 216 किलोमीटर है।

सड़क मार्ग

हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून बस से पहुंचकर वहां से केदारनाथ पहुंचा जा सकता है। ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी करीब 223 किलोमीटर है। दिल्ली के कश्मीरी गेट से गौरीकुंड तक के लिए बसें मिल जाती हैं। आप निजी साधन से भी सीधे गौरीकुंड पहुंच सकते हैं।

टूर के दौरान कहां ठहरें

केदारनाथ में रुकने के लिए कई आश्रम बने हुए हैं। यहां आप गायत्री भवन, राजस्थान सेवा सदन, गुजरात भवन आदि में रुक सकते हैं। इसके अलावा गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा संचालित यात्री निवास में भी बुकिंग करा सकते हैं।

इसका ध्यान रखें

केदारनाथ मंदिर के अंदर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर रोक लगा दी गई है। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से जुलाई 2023 में इसके लिए आदेश जारी किए गए हैं। प्रतिबंध को लेकर मंदिर परिसर में बोर्ड भी लगा दिए गए हैं।

आसपास अन्य दर्शनीय स्थल

केदारनाथ के आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं। सोनप्रयाग इनमें से एक है। यहां भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। यहां से केदारनाथ की दूरी करीब 20 किलोमीटर है। केदारनाथ से 8 किलोमीटर की दूरी पर बासुकी ताल झील है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने रक्षाबंधन के अवसर पर इस झील में स्नान किया था। इसके अलावा आप गौरीकुंड, भैरवनाथ मंदिर, त्रिगुणी नारायण मंदिर और रुद्र गुफा केदारनाथ के दर्शन कर सकते हैं।

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