यमुनोत्री धाम की यात्रा : दर्शन करने कैसे और कब जाएं , पढ़ें पूरी जानकारी

हिंदुओं के चार धामों में से एक यमुनोत्री (Yamunotri) दर्शन की महिमा पुराणों में भी मिलती है। इसके अनुसार यहां स्नान करने और यहां का जल पीने से मनुष्य न सिर्फ पापमुक्त होता है, बल्कि उसके सात कुल तक पवित्र हो जाते हैं। यहां पांडवों की यात्रा के वृतांत मिलते हैं। यमुनोत्री के दर्शन के लिए हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

यमुनोत्री के बारे में

उत्तराखंड (Uttarakhand) के उत्तरकाशी (Uttarkashi) जिले में स्थित यमुनोत्री में सूर्य पुत्री यमुना देवी का मंदिर है। यमुनोत्री यमुना नदी का उद्गमस्थल है। यह समुद्र तल से 3235 की ऊंचाई पर स्थित है। इसे चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra) के पहले पड़ाव के रूप में जाना जाता है। यमुनोत्री तीर्थ स्थान से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी का स्रोत कालिंदी पर्वत है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 4,421 मीटर है। इसकी चढ़ाई बहुत ही दुष्कर है।

मंदिर की महिमा

यमुनोत्री स्थित इस मंदिर में मृत्यु के देवता यम अपनी छोटी बहन यमुना के साथ विराजमान हैं। यहां मंदिर के कपाट हर वर्ष अक्षय तृतीया को खोले जाते हैं और दिवाली के दूसरे दिन बंद कर दिए जाते हैं। यमुनोत्री के पास ही दो पवित्र कुंड स्थित हैं। इन्हें सूर्य और गौरी कुंड के नाम से जाना जाता है। सूर्य कुंड का तापमान बहुत ही गर्म रहता है। यमुनोत्री के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु यहां चावल को कपड़े में बांधकर कुंड में डालकर पकाते हैं। बाद में इस चावल को प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है।

मंदिर का इतिहास

ऐसा माना जाता है कि यमुनोत्री पहले असित मुनि का निवास था। 1885 के दौरान टिहरी के राजा सुदर्शन शाह ने यमुनोत्री में मंदिर का निर्माण करवाया था। तब यह मंदिर छोटा था। वर्तमान स्वरूप में मंदिर का निर्माण गढ़वाल नरेश प्रताप शाह ने करवाया था। यह मंदिर दो जलधाराओं के बीच एक कठोर चट्टान पर स्थित है।

यमुनोत्री दर्शन के लिए कब जाएं

यमुनोत्री दर्शन के लिए अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच जाना सबसे उचित रहता है। नवंबर से मार्च के बीच यहां काफी सर्दी और बर्फ पड़ती है।

कैसे पहुंचें यमुनोत्री

हवाई मार्ग

देहरादून स्थित जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पर उतरकर आप गंगोत्री पहुंच सकते हैं। यहां के लिए आपको दिल्ली से फ्लाइट मिल जाएगी। इस एयरपोर्ट से यमुनोत्री की दूरी करीब 210 किलोमीटर है। यहां से टैक्सी कर हनुमान चट्टी पहुंचा जा सकता है, जहां से ट्रैकिंग शुरू होती है। देहरादून से यमुनोत्री के लिए हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है, पर इसका प्रति व्यक्ति खर्च 85 हजार रुपये है।

ट्रेन द्वारा

ट्रेन से यहां पहुंचने के लिए पहले देहरादून या ऋषिकेश स्टेशन पहुंचना होगा। देहरादून से यमुनोत्री की दूरी करीब 175 किलोमीटर और ऋषिकेश से 200 किलोमीटर है। इन स्टेशन पर उतरने के बाद कैब या बस से जानकी चट्टी फिर यमुनोत्री पहुंच सकते हैं। हरिद्वार या कोटद्वार से भी यहां ऐसे ही पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग

यमुनोत्री तक पहुंचने के लिए बस या कैब से आप जानकी चट्टी पहुंच सकते हैं। जानकी चट्टी तक ही मोटर मार्ग है। जानकी चट्टी से यमुनोत्री की दूरी छह किलोमीटर है। यह पैदल और दुर्गम रास्ता है। जानकी चट्टी से यमुनोत्री पहुंचने के लिए पिट्ठू, पालकी या खच्चर सेवा का लाभ उठा सकते हैं।

यात्रा के दौराम कहां ठहरें

यमुनोत्री की यात्रा के दौरान ठहरने के लिए यमुनोत्री मार्ग पर आपको कई निजी होटल मिल जाएंगे। जानकी चट्टी में गढ़वाल मंडल विकास निगम का गेस्ट हाउस बना हुआ है। यहां की सेवा किफायती और सुरक्षित मानी जाती है। इसके लिए यहां बुकिंग करा सकते हैं।

आसपास के दर्शनीय स्थल

हनुमान चट्टी का दृश्य

यमुनोत्री के आसपास स्थित दर्शनीय स्थलों में हनुमान चट्टी और जानकी चट्टी शामिल है। हनुमान चट्टी में जहां ट्रैकिंग का लुत्फ लिया जा सकता है, वहीं जानकी चट्टी में पानी का गर्म फव्वारा आकर्षण का केंद्र है। यमुनोत्री के नजदीक स्थित खरसाली गांव में लोग प्राकृतिक झरनों का आनंद उठाने के लिए जाते हैं।

यमुनोत्री दर्शन के दौरान बारकोट भी घूमा जा सकता है। बारकोट यमुनोत्री के नजदीक बड़ा नगर है। यहां से यमुनोत्री की दूरी 33 किलोमीटर है। यह समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां सुंदर बर्फीली चोटियों के बीच ट्रैकिंग का आनंद उठा सकते हैं। इसके अलावा यमुनोत्री से करीब 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हर्षिल में बर्फीली चोटियों का नजारा देखने लायक होता है। यहां चर्चित हिंदी फिल्म राम तेरी गंगा मैली की शूटिंग भी हो चुकी है। यमुनोत्री यात्रा के बाद गंगोत्री भी जाया जा सकता है। यहां से गंगोत्री की दूरी करीब 46 किलोमीटर है।

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