इंडिया गेट, दिल्ली (कब, कैसे क्या घूमें, एंट्री, समय, पार्किंग और स्मारक की पूरी जानकारी

भारत की शान कहा जाने वाला इंडिया गेट (India Gate, New Delhi) देश का राष्ट्रीय स्मारक है। दिल्ली के बीचोंबीच स्थित इस स्मारक का निर्माण अंग्रेजों ने उन 90 हजार भारतीय सैनिकों की याद में कराया था, जो ब्रिटिश सेना की तरफ से लड़ते हुए प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्धों में शहीद हुए थे। इंडिया गेट की नींव 10 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी। इसके निर्माण में 10 साल लगे और 12 फरवरी 1931 को वायसराय लॉर्ड इर्विन ने इंडिया गेट का उद्घाटन किया था।

यह गेट पिकनिक स्थल के तौर पर विकसित हो चुका है। इसके आसपास फव्वारों और लाइटिंग के बीच हरियाली बहुत ही मनमोहक उपस्थित करती है। सामने राष्ट्रपति भवन हर किसी के मन मे राष्ट्र सम्मान का भाव जगाता है। 26 जनवरी को हर वर्ष यहां राष्ट्रीय परेड निकाली जाती है। इस दौरान तीनों सेनाओं के नवीनतम हथियारों, मिसाइलों और टैंक का शानदार प्रदर्शन किया जाता है और राष्ट्रपति सलामी लेते हैं। परेड के दौरान विभिन्न राज्यों की झांकियां राजपथ की शान बढ़ाती हैं।

इंडिया गेट से जुड़े रोचक तथ्य

  • 1920 तक पुरानी दिल्ली स्टेशन ही दिल्ली का एकमात्र रेलवे स्टेशन था। जहां इंडिया गेट बना हुआ है, उस जगह से पहले आगरा-दिल्ली रेलवे लाइन गुजरती थी। रेलवे लाइन को यमुना नदी के पास स्थानांतरित करने के बाद ही इंडिया गेट का निर्माण कार्य शुरू हो सका।
  • इंडिया गेट की संरचना फ्रांस स्थित पेरिस के आर्क डे ट्रॉयम्फ से प्रेरित है। इस स्मारक की ऊंचाई 137,79 फुट है। यह षट्कोणीय जगह के बीच 306,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
  • इंडिया गेट को प्रमुख अंग्रेज वास्तुकार एडवर्ड लुटियंस ने डिजाइन किया था। इस स्मारक पर 13,516 ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के नाम लिखे गए हैं।
  • इंडिया गेट जब बनकर तैयार हुआ तब इसके सामने जॉर्ज पंचम की प्रतिमा लगी हुई थी। इसे बाद में सरकार ने कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया। इंडिया गेट के सामने जो एक छतरी दिखती है, वहीं पर यह प्रतिमा लगी हुई थी।
  • इंडिया गेट को बनाने में लाल और पीले पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। इन पत्थरों को भरतपुर, राजस्थान से लाया गया था।

अमर जवान ज्योति

इंडिया गेट स्मारक के ठीक नीचे 1971 में अमर जवान ज्योति की स्थापना की गई थी। यह ज्योति 1971 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की याद में स्थापित हुई थी। इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को किया था। इस अमर जवान ज्योति को 21 जनवरी 2022 को नेशनल वॉर मेमोरियल में स्थानांतरित कर दिया गया। इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के आंतरिक रिंग (अमर चक्र) में स्थापित किया गया है। अब यह ज्योति यहां दिन-रात जलती रहती है।

खुलने का समय और दिन

इंडिया गेट हफ्ते के सातों दिन हमेशा खुला रहता है। हालांकि दिन के 12:00 बजे से रात के 12 बजे के बीच यहां घूमने जाना ठीक रहता है। रात में यहां लाइटिंग देखते ही बनती है।

कब जाएं घूमने

फरवरी से अप्रैल और अगस्त से नवंबर का समय यहां घूमने जाने के लिए सर्वोत्तम है। यहां फोटोग्राफी की अनुमति है।

टिकट दर

इंडिया गेट के लिए कोई एंट्री टिकट नहीं है। यहां घूमने के लिए कम से 2 घन्टे का समय लेकर चलें। पास में ही स्थित चिल्ड्रेन पार्क बच्चों के साथ समय बिताने के लिए उचित स्थान है।

इंडिया गेट कैसे पहुंचें

इंडिया गेट का नजदीकी मेट्रो स्टेशन यलो लाइन स्थित केंद्रीय सचिवालय है। यहां से इंडिया गेट की दूरी करीब 2.3 किलोमीटर है। इसके अलावा आप प्रगति मैदान, रेसकोर्स या बाराखम्बा मेट्रो स्टेशन उतरकर ई-रिक्शा, ऑटो या कैब से इंडिया गेट पहुंच सकते हैं। स्मारक तक गाड़ियां ले जाने की अनुमति नहीं है, इसलिए बाहर ही उतरना पड़ता है। आप खुद की गाड़ी से भी इंडिया गेट पहुंच सकते हैं।

पार्किंग के प्रबंध

इंडिया गेट के आसपास पार्किंग की दिक्कत हो सकती है। आप अपनी गाड़ी हैदराबाद हाउस, पंडारा रोड पर बीकानेर हाउस, शाहजहां रोड या दिल्ली हाईकोर्ट की पार्किंग में खड़ी कर सकते हैं।

आसपास अन्य प्रमुख स्थल

इंडिया गेट से 750 मीटर की दूरी पर स्थित नेशनल वार मेमोरियल बना हुआ है। आप यहां भी जाकर घूम सकते हैं। यहां से पुराना किला और चिड़िया घर 2.2 किलोमीटर की दूरी पर हैं। राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र, जंतर-मंतर और कनॉट प्लेस 4 किलोमीटर के दायरे में ही हैं।

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