जयपुर टूर में इन 7 स्थानों को नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा

पिंक सिटी जयपुर (Pink City Jaipur) में पर्यटकों के देखने के लिए बहुत कुछ खास है। यहां ऐतिहासिक किलों से लेकर महल तक सब कुछ देखा जा सकता है। यह शहर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है। यहां स्थित धरोहर स्थलों में अम्बर का किला और जंतर-मंतर घूमने लायक हैं। जयपुर का टूर (Tour) बिना खरीदारी के पूरा नहीं होता। इसके लिए यहां खास सामान के लिए अलग-अलग बाजार हैं। अगर पूरी तरह से जयपुर को जानना-समझना या देखना है तो दो दिन का समय निकालकर जाना ठीक रहता है। जयपुर जाएं तो इन 7 स्थानों पर घूमने जरूर जाएं, बिना इनके आपका टूर मुकम्मल नहीं होगा।

1. सिटी पैलेस (City Palace)

सिटी पैलेस राजस्थानी और मुगलकालीन वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। इसे महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था। आमेर किले में जब पानी की किल्लत होने लगी और जनसंख्या बढ़ने लगी तब उन्होंने जयपुर को बसाया था, इसी समय सिटी पैलेस की नींव पड़ी। इसका निर्माण 1729 से 1732 के बीच हुआ। इसके वास्तुकार थे विद्याधर भट्टाचार्य। पैलेस परिसर में मुबारक महल, चंद्र महल, सिटी पैलेस म्यूजियम, पीकॉक गेट, दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम और महारानियों के महल आदि देखने लायक हैं। सिटी पैलेस लंबे समय तक राज परिवारों के निवास और राजघरानों के समारोहों के लिए भी जाना जाता है। सिटी पैलेस सुबह 9:00 बजे खुल जाता है और शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है। इसको अच्छी तरह से देखने के लिए करीब 2 घन्टे का समय चाहिए। यहां प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 190 रुपये और विदेशियों के लिए 500 रुपये है।

2. हवा महल (Hawa Mahal)

हवा महल को पैलेस ऑफ विंड्स (Palace of Winds) भी कहा जाता है। यह पिरामिड के आकार में 5 तल में बना है। इसमें 953 झरोखे बनाए गए हैं। हवा महल वास्तु की अनूठी कृति है। लाल और गुलाबी सैंडस्टोन से निर्मित हवा महल का ढांचा 1799 में बनकर तैयार हो गया था। इसमें मुगल और राजपूत वास्तुकला के नमूने देखने को मिलते हैं। इसे महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था। इसका डिजाइन लाल चंद उस्ताद ने तैयार किया था। यह सिटी पैलेस का ही एक हिस्सा है। इसके अंदर से रानियां बाहर का पूरा नजारा देख सकती थीं पर इसकी बनावट ऐसी है कि बाहर से अंदर रानियों को कोई नहीं देख सकता था। इसके परिसर में फव्वारे लगे थे जो गर्मी में हवा के झोंकों को शीतल बनाते थे। महाराजा जय सिंह गर्मी में अक्सर यहां घूमने आते थे। हवा महल सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है। यहां प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 50 रुपये और विदेशियों के लिए 200 रुपये है। यहां घूमने के लिए 1 घन्टे का समय पर्याप्त है।

3. जल महल (Jal Mahal)

जल महल को वाटर पैलेस भी कहा जाता है। यह मान सागर सरोवर के बीच स्थित है। इसे आमेर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था, हालांकि इसके निर्माणकर्ता के रूप में माधो सिंह प्रथम का नाम भी आता है। इस महल को रहने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि हंटिंग प्लेस के रूप में बनाया गया था। इसकी पांच मंजिल है, जिनमें से चार मंजिल पानी में डूबी हुई हैं। इसकी सिर्फ पांचवीं मंजिल ही दिखती है। 300 एकड़ में फैले जल महल परिसर से नाहरगढ़ की खूबसूरत वादियों का नजारा दिखता है तो पिंक सिटी जयपुर का भी शानदार दृश्य उपस्थित होता है। संरक्षित क्षेत्र घोषित करने के बाद जल महल में लोगों का प्रवेश बंद किया जा चुका है। महल के चारों ओर नाव की सवारी पर भी रोक लग गई है। इसे थोड़ी दूर से ही देखा जा सकता है। इसका कोई शुल्क नहीं है।

4. अम्बर या आमेर का किला (Amber or Amer Fort)

अम्बर या आमेर का किला जयपुर के मुख्य पर्यटक स्थलों में से एक है। यह आमेर गांव में अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। किले की जयपुर से दूरी 11 किलोमीटर है। राजा मान सिंह ने 1592 में किले का निर्माण कराया था। बाद के राजाओं ने इस किले का विस्तार कराया। इसका निर्माण राजपुताना शैली में हुआ है। इसमें लाल पत्थरों और संगमरमर का प्रयोग हुआ है। इसके भीतर शीला माता मंदिर, जलेब चौक, दीवान-ए-आम देखने लायक हैं। शीश महल और सुख निवास यहां के मुख्य आकर्षण हैं। दर्पणों से मिलकर बने होने से शीश महल में उजाला रहता है। सुख निवास में राजा रानियों के साथ बहुत समय बिताते थे। इसके निर्माण में चंदन और हाथी दांत का प्रयोग किया गया है। हर शाम को यहां करीब 50 मिनट का लाइट एंड साउंड शो होता है। इसका शुल्क 295 रुपये है। आमेर का किला पहुंचने के लिए हवा महल से हर आधे घन्टे में बस मिलती है। सांगानेर हवाई अड्डे पर पहुंचकर भी कैब से आमेर का किला पहुंचा जा सकता है। यहां से किले की दूरी 27 किलोमीटर है।

5. जयगढ़ किला (Jaigarh Fort)

जयगढ़ किला आमेर के किले के पास ही चील का तेला पहाड़ियों पर स्थित है। इसका निर्माण बलुआ पत्थरों से हुआ है। इसे 1726 में आमेर किले की सुरक्षा के लिए राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था। जयगढ़ किले से आमेर किले तक एक भूमिगत रास्ता है, जिसे विजय का किला कहा जाता है। किले के अंदर विश्व की सबसे बड़ी तोप स्थित है। कहा जाता है कि इसका एक बार प्रयोग हुआ था। मुगलों के शासन काल के दौरान इस किले का प्रयोग गोला-बारूद रखने के लिए किया जाने लगा। पहाड़ियों के बीच स्थित होने के कारण यहां का नजारा बहुत अलग होता है। जयपुर ट्रिप के दौरान इस किले का दौरा भूलना नहीं चाहिए। जयपुर से इस किले की दूरी करीब 15 किलोमीटर है।

6. नाहरगढ़ किला (Nahargarh Fort)

नाहरगढ़ किले को महाराजा सवाई जय सिंह ने 1734 में बनवाया था। यह किला आमेर और जयगढ़ के किले के साथ एक प्रमुख रक्षक के तौर पर खड़ा किया गया था। इस किले का इस्तेमाल गर्मी में महल के तौर पर किया जाता था। इंडो-यूरोपियन वास्तुकला की बखूबी झलक इस किले में देखने को मिलती है। इसके अंदर दीवान-ए-आम और माधवेन्द्र भवन देखने योग्य हैं। यहां नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एशियाई शेर और तेंदुए समेत 250 से भी अधिक पक्षियों की प्रजातियां देखी जा सकती हैं। नाहरगढ़ किले की जयपुर से दूरी 19 किलोमीटर है। यह किला सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है। यहां प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 50 रुपये और विदेशियों के लिए 200 रुपये है। यहां घूमने में 2 से 3 घन्टे लग जाते हैं।

7. जंतर-मंतर (Jantar Mantar)

जयपुर स्थित जंतर-मंतर देश की सबसे बड़ी वेधशालाओं में से एक है। यह सिटी पैलेस के पास स्थित है। इसमें 19 बड़े उपकरणों का प्रयोग किया गया है। ये उपकरण पत्थर के बने हैं। इन उपकरणों के माध्यम से समय और ग्रहण आदि का पता किया जाता था। जंतर-मंतर का निर्माण राजा सवाई जय सिंह ने 1724 से 1735 के बीच करवाया था। यह स्थल पर्यटकों के लिए सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है। यहां प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 50 और विदेशियों के लिए 200 रुपये है। यह टिकट ऑनलाइन भी उपलब्ध है। यहां लाइट एंड साउंड शो भी होता है, पर इसका टिकट जंतर-मंतर से ही लिया जा सकता है।

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