मोक्ष कैसे मिलेगा? ये हैं 5 प्रमुख मार्ग
मोक्ष (Moksha) शब्द का वर्णन हिन्दू, जैन, बौद्ध आदि सभी प्रमुख धर्मों में मिलता है। आखिर मोक्ष है क्या? क्यों इसे सबसे परम माना गया है। भारतीय शास्त्र कहते हैं कि जन्म-मरण के बंधन से छुटकारा पाना ही मोक्ष है। उनके अनुसार मनुष्य अज्ञानता के कारण जन्म-मरण के बंधन में फंसा रहता है और उसे मोक्ष नहीं मिल पाता। उपनिषदों में आनंद की स्थिति को मोक्ष की संज्ञा दी गई है। यानी मोक्ष की स्थिति में मनुष्य सभी प्रकार के दुखों-कष्टों आदि से मुक्त हो जाता है। करीब-करीब सभी धर्मों में इसी भाव को लेकर अलग-अलग व्याख्या की गई है।
शास्त्रों के अनुसार उपाय
भक्ति का मार्ग
सभी प्रकार के दुखों से मुक्त होने और देवत्व की प्राप्ति के लिए भक्ति मार्ग को श्रेष्ठ माना जाता है। भजन-कीर्तन, प्रार्थना, पूजन आदि का इसमें विशेष महत्व होता है। भक्ति की शक्ति सांसारिक मोह-माया से दूर ले जाती है।
योग का सहारा
चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। महर्षि पातंजलि ने अष्टांग योग के मार्ग समझाए हैं। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के जरिए भी मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है।
ज्ञान मार्ग
आत्मा, परमात्मा, ब्रह्मांड, जीवन, दुख और मुक्ति के मार्ग को जान लेने के बाद मोक्ष की प्राप्ति आसान हो जाती है। संसार में मोह-माया क्या है और मनुष्य का असली उद्देश्य क्या है, इस मार्ग पर चलने से भली-भांति इसका बोध हो जाता है। अतः इसके जरिए मोक्ष को हासिल करना सरल हो जाता है।
कर्म की राह
गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं कि कर्म किए जा, फल की चिंता छोड़ दो। निष्काम भाव से कर्म हमें मुक्ति दिलाता है। चिंता छोड़ देने से हम दुखों से भी निजात पा लेते हैं। फिर तो सुख ही सुख और आनंद होता है।
ध्यान का आसरा
प्राचीन काल में ऋषि-मुनि लंबे समय तक ध्यानरत रहते थे। ध्यान साधना में वो ताकत होती है, जो मोक्ष या मुक्ति के अनेक साधनों में नहीं होती। इससे ध्यान केंद्रित होता है और मनुष्य अपने जीवन के सही उद्देश्यों की तरफ आगे बढ़ता जाता है। इस दौरान वह अपने शरीर और मन पर विजय पा लेता है। फिर उसके लिए मोक्ष की राह मुश्किल नहीं रह जाती।
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