खुशखबरी : दिमाग की कोशिकाओं में सफाई से खत्म होगा अल्जाइमर

अल्जाइमर (Alzheimer) के मरीजों के लिए यह बड़ी खुशखबरी है कि दिमाग की कोशिकाओं में सफाई से इस बीमारी का खात्मा किया जा सकता है। अपनी रिसर्च में यह दावा किया है यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन, नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ और यूनिवर्सिटी ऑफ ओस्लो के शोधकर्ताओं ने। यह रिसर्च नेचर न्यूरोसाइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई है। गौर हो कि अल्जाइमर का अब तक कोई स्थायी इलाज नहीं खोजा जा सका है। इस बीमारी का लक्षण पता चलने पर अभी डॉक्टर उतना ही उपचार कर पाते हैं कि मरीज की स्थिति नियंत्रण में रहे।

माइटोफैगी से लक्षण गायब

इन वैश्विक शोधकर्ताओं ने अल्जाइमर की बीमारी पर नए तरीके से हमला बोलने की ठानकर अपनी रिसर्च शुरू की। इसके लिए इन्होंने अल्जाइमर पीड़ित व्यक्तियों और चूहों के दिमाग की कोशिकाओं का अध्ययन किया। इस दौरान इस टीम ने पाया कि दिमाग की कोशिकाओं में सफाई प्रणाली सही न होने से ही यह बीमारी गंभीर रूप ले रही है। सेंटर फॉर हेल्दी एजिंग एंड नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ से संबद्ध प्रोफेसर विल्हेम बोहर बताते हैं कि ‘ऐसे मरीजों के मष्तिष्क की कोशिकाओं में दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रिया का संचय होता है। जब हम सफाई प्रणाली सुधारते हैं तो अल्जाइमर के लक्षण अपने आप गायब हो जाते हैं।’ दिमाग की कोशिकाओं में सफाई की प्रक्रिया को माइटोफैगी नाम दिया गया है।

जल्द उपचार संभव

अल्जाइमर और यहां तक कि डिमेंशिया के मरीजों के दिमाग में ताउ (Tau) और बीटा (Beta) अमाइलॉइड प्रोटीन का संचय होता है। माइटोफैगी के बाद इन प्रोटीन के संचय में तेजी से कमी आती है। इससे अल्जाइमर के मरीजों की स्थिति में चमत्कारिक सुधार होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार इस विधि के सफल परीक्षण के बाद अब जल्द ही इसका अल्जाइमर के मरीजों के उपचार में प्रयोग किया जा सकेगा।

यह है अल्जाइमर

अल्जाइमर एक तरह का मानसिक विकार है। यह डिमेंशिया से मिलता-जुलता है। इसमें मस्तिष्क की कोशिकाओं का संपर्क आपस में टूटने लगता है और ये धीरे-धीरे मृतप्राय स्थिति में पहुंच जाती हैं। इस बीमारी में व्यक्ति चिड़चिड़ापन महसूस करता है और याददाश्त कमजोर होने लगती है। स्थिति गंभीर होने पर मरीज किसी को पहचान तक नहीं पाता, न ही उसका नाम बता पाता है। इसके मरीजों को गुस्सा भी बहुत आता है। महिलाओं में यह बीमारी 45 वर्ष और पुरुषों में 60 वर्ष या इसके बाद की उम्र में होने की आशंका ज्यादा रहती है।

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