इम्युनिटी (Immunity) बढ़ाने की सर्वोत्तम औषधि है गिलोय
गिलोय (Giloy) एक नहीं अनेक रोगों की रामवाण औषधि है। इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने की तो इससे बेहतर और आसानी से सुलभ दवा शायद ही कोई हो। इन्हीं खूबियों की वजह से इसे अमृत के तौर पर जाना जाता है। इसे अमृतबल्ली (Amritballi) या गुडुची (Guduchi) भी कहा जाता है। प्राचीन काल से इसका दवा के तौर पर प्रयोग होता आया है। आज भी विभिन्न दवा में इसका प्रयोग किया जाता है। पाउडर, टैबलेट या जूस किसी भी रूप में गिलोय का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके मुख्य फायदे (Benefits) इस प्रकार हैं :
रोगों से लड़ने में सक्षम
गिलोय प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर हमें रोगों से लड़ने में सक्षम बनाता है। इससे बुखार भी ठीक हो जाता है। आयुर्वेदिक पद्धति को मानने वालों का दावा है कि गिलोय के सेवन से कोरोना (Corona) की आशंका को भी टाला जा सकता है। इसमें इसका काढ़ा बहुत कारगर साबित होता है। इसके लिए गिलोय के एक फुट लंबे तने को लेकर उसे छोटे-छोटे टुकड़े में काट लें। फिर उसे कुचलकर एक बर्तन में डाल दें। अब इसमें तुलसी की 8-10 पत्तियां, नीम की पत्तियों के 6-7 डंठल और 20-25 ग्राम काला गुड़ मिला लें। इसके बाद इसमें 4 कप पानी डालकर मद्धम आंच पर पकाएं। जब इसमें 1 कप पानी बच जाए तब इसे आंच से उतार लें और ठंडा होने के बाद मरीज को पिलाएं या खुद पिएं। इसे हफ्ते-दो हफ्ते के अंतराल पर लेने से फायदा होता है।
पाचन ठीक करे
गिलोय के सेवन से पाचन सुधारने में काफी मदद मिलती है। इससे कब्ज, मरोड़, पेट में जलन और बदहजमी की समस्या दूर होती है। एक ग्राम गिलोय को थोड़े से आंवला पाउडर के साथ लेने से पाचन से जुड़ी दिक्कतों से निजात मिलती है। इससे शरीर का रक्तचाप भी नियमित बना रहता है। अस्थमा में भी गिलोय बहुत फायदेमंद है।
डायबिटीज पर नियंत्रण
डायबिटीज के रोगियों को गिलोय का जरूर सेवन करना चाहिए। इसे एक नियमित अंतराल पर लेने से इंसुलिन बनने में काफी मदद मिलती है और ग्लूकोज को जलाने की क्षमता में वृद्धि होती है। इससे ब्लड शुगर लेवल काफी कम हो जाता है। हालांकि, डायबिटीज के मरीजों को गिलोय का प्रयोग करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। गिलोय के इस्तेमाल से आंखों की रोशनी में भी वृद्धि होती है।
अर्थराइटिस और डेंगू में कारगर
गिलोय के सेवन से रूमेटॉयड अर्थराइटिस में काफी लाभ होता है। इससे जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। इसके लिए गिलोय के तने को कुचलकर दूध के साथ उबालकर पीने से काफी राहत मिलती है। दूध के बजाय अदरक का भी प्रयोग किया जा सकता है। गठिया में गिलोय का जूस 2-3 माह तक लेने से लाभ मिलता है। इसके अलावा गिलोय मानसिक तनाव, कैंसर और यूरिन से जुड़ी दिक्कतों में भी काफी कारगर है।
हृदय रोग में लाभकारी
गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे रेडिकल्स से लड़ने में मदद मिलती है। इससे हमारी कोशिकाएं स्वस्थ बनी रहती हैं और हृदय रोग से छुटकारा मिलता है। वयस्कों के लिए रोज 1 ग्राम गिलोय को पर्याप्त माना जाता है। किसी भी स्थिति में रोज 3 ग्राम से ज्यादा गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए। इसे नवजात शिशुओं और बच्चों को नहीं देना चाहिए।
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