अस्थमा के अटैक को रोकना आसान
- 3 करोड़ के करीब लोग भारत में अस्थमा रोग से पीड़ित हैं
- 30 करोड़ है दुनियाभर में अस्थमा के मरीजों की संख्या
- 270 अस्थमा के मरीज यूके में रोज अस्पताल में भर्ती होते हैं
- 13 में हर एक व्यक्ति को अस्थमा है अमेरिका में
- 4 लाख लोगों की हर साल इस बीमारी से होती है मौत
अस्थमा से जुड़े ये आंकड़े डरावने नहीं तो चेतावनी भरे तो जरूर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अस्थमा से पूरी तरह छुटकारा तो नहीं मिल सकता लेकिन सही प्रबंधन से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसा कर इसके मरीज भी आसानी से गुणवत्तापूर्ण जिंदगी जी सकते हैं।
ये तरीके आजमाएं
खुद को एक्टिव बनाएं
शारीरिक रूप से सक्रिय लोगों को अस्थमा का खतरा कम होता है। कनाडा में अस्थमा और शारीरिक सक्रियता को लेकर हुए शोध में यह पाया गया कि जो लोग ज्यादा सक्रिय थे, उनमें अस्थमा की मौजूदगी और तीव्रता दोनों के लक्षण कम मिले। इन लोगों की रात की नींद भी काफी बेहतर पाई गई।
फास्ट फूड छोड़ना बेहतर
फास्ट फूड से शरीर में फैट बढ़ता है। यह ऐसी कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देता है, जो शरीर के वायु मार्ग को बाधित करती हैं। फलस्वरूप सांस लेने में दिक्कत के साथ ही घरघराहट की समस्या उत्पन्न होती है। फास्ट फूड की अधिकता अस्थमा की तीव्रता को बढ़ा देती है। ओमेगा-3 फैटी एसिड वाली मछली और विटामिन D का खाने में इस्तेमाल अस्थमा में बेहतर माना जाता है।
ज्यादा वजन घातक
अस्थमा से पीड़ित ऐसे लोग या बच्चे जिनका वजन ज्यादा है, वे शारीरिक तौर पर अधिक सक्रिय नहीं रह पाते। लंबी एक्सरसाइज या गतिविधि से इनका दम फूलने लगता है। उन्हें घरघराहट की दिक्कत बढ़ जाती है। ऐसे में तुरंत इन्हेलर लेने की जरूरत पड़ती है। ज्यादा वजन से उच्च रक्तचाप और डाइबिटीज को भी बढ़ावा मिलता है। इसलिए इसे कम करने पर जोर होना चाहिए।
मीठा जूस लेने से बचें
अस्थमा के मरीजों को फ्रुक्टोज (फल शर्करा) के ज्यादा सेवन से बचना चाहिए। फलों के जूस यहां तक कि सेब का जूस भी ज्यादा लेने से अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे रोगियों को केचअप का भी इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। उच्च फ्रुक्टोज वाले पदार्थ आंतों द्वारा ठीक से अवशोषित नहीं हो पाते, जिससे पेट में जलन की स्थिति पैदा होती है। यह अस्थमा की दिक्कत और बढ़ा देती है। अस्थमा रोगियों के लिए लहसुन और अदरक का सेवन बेहतर माना जाता है। ये शरीर के वायु मार्ग को साफ कर देते हैं।
प्रदूषण से खुद को बचाएं
देश के करीब 2 करोड़ लोगों में अस्थमा का कारण वायु प्रदूषण ही है। अमेरिका स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक शोध में यह सामने आया कि जो बच्चे प्रदूषण के लिहाज से ज्यादा खतरनाक स्थिति में पले-बढ़े, उनमें आगे चलकर अस्थमा के अटैक का खतरा ज्यादा मिला। प्रदूषण से बचाव के लिए बाहर निकलते समय चेहरे पर मास्क और घर में एयर प्यूरीफायर का सहारा लिया जा सकता है।
जल्द राहत के लिए ये करें
अस्थमा के अटैक में तुरंत उपचार के तौर पर इन्हेलर के अलावा सरसों और यूकेलिप्टस के तेल की मालिश से काफी राहत मिलती है। इससे बलगम टुकड़ों में टूटता है और सांस सामान्य होती है। रात में सोने से पहले और सुबह खाली पेट सूखे अंजीर खाने से भी सांस की दिक्कत दूर होती है।
रोग को ऐसे पहचानें
अस्थमा ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को सांस कम आती है और सीने में जकड़न महसूस होती है। हमेशा कफ बना रहता है। इतना ही नहीं, सांस लेने पर बार-बार घरघराहट होती है। इसके मरीजों की हार्ट बीट बढ़ी हुई रहती है। उन्हें अक्सर ऐसा लगता है कि नींद पूरी नहीं हुई है। अलग-अलग समय पर ये दिक्कतें घटती-बढ़ती रहती हैं।
लड़कों और महिलाओं को ज्यादा खतरा
अस्थमा विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों में लड़कियों के मुकाबले लड़कों में यह रोग होने की आशंका ज्यादा होती है। इसके ठीक विपरीत वयस्कों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अस्थमा के लक्षण जल्द विकसित होते हैं।
इनसे बढ़ता है अटैक
- धूल-मिट्टी और जानवरों के फर आदि अस्थमा रोगियों की मुश्किलें और बढ़ा देते हैं, इसलिए इनसे बचकर रहना चाहिए। ऐसे लोगों को आंधी-तूफान से भी बचना चाहिए।
- दर्द खत्म करने वाली दवाओं का अधिकतर प्रयोग करने वाले लोगों को भी अस्थमा का खतरा रहता है। इनसे लिवर और किडनी की समस्या भी बढ़ती है।
- ऐसे लोगों को भी अस्थमा का अटैक ज्यादा होता है, जिनके माता-पिता आदि को पहले से यह बीमारी होती है। यह आनुवंशिक होता है।
- केमिकल का किसी न किसी रूप में प्रयोग और धूम्रपान अस्थमा को उत्तेजित करने का काम करते हैं। इसमें सिगरेट सबसे ज्यादा हानिकारक है।
- सांस और शरीर के ऊपरी हिस्से का इंफेक्शन भी अस्थमा को बढ़ाने का काम करता है। संक्रामक इंफेक्शन स्थिति को और गंभीर बना देता है।
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