आम का बगीचा लगाकर प्रत्येक सीजन में छह लाख रुपये तक कमाएं

फलों का राजा आम सबको भाता है, इसलिए इसका बगीचा लगाना या फार्मिंग करने से लाभ ही लाभ है। आम की फार्मिंग (Mango Framing) इसलिए भी आसान है, क्योंकि आम तौर पर इसका पौधा कहीं भी लग जाता है। लोकल स्तर पर ही बहुत अधिक खपत के चलते इसके लिए बाजार खोजने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। एक हेक्टेयर (करीब 4 बीघा) में 5 से 6 लाख तक के आम की पैदावार आराम से की जा सकती है। आम के पौधों के रोपण से लेकर उनके बड़े होने तक कुछ सावधानियों का ध्यान जरूर रखना पड़ता है। एक बार पौधे लगाने के बाद कम से कम 60 वर्ष तक के लिए आमदनी का जरिया बन जाता है। आम के पेड़ की सही देखरेख कर लगातार हर साल फल प्राप्त किए जा सकते हैं।

आम की फसल के लिए मिट्टी और तापमान

आम की खेती पथरीली आदि को छोड़कर लगभग हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है। हालांकि, दोमट और काली मिट्टी को ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। आम की खेती के लिए मिट्टी का पीएच 5.5 से 7.5 होना चाहिए। इसकी बागवानी के लिए 23 से 27 डिग्री तक के तापमान को उत्तम माना जाता है।

पौधे लगाने का उचित समय और तरीका

आम के पौधे लगाने के लिए मई में गड्ढे खोद देने चाहिए। बड़े वृक्षों के लिए गड्ढे 1×1×1 मीटर और बौनी किस्म के वृक्षों के लिए 0.5×0.5×0.5 मीटर के होने चाहिए। खुदाई के बाद इसे 1-2 सप्ताह के लिए खुला छोड़ दें, ताकि इसके कीट-पतवार खत्म हो जाएं। मानसून की शुरुआत होने पर इन गड्ढों में 40-50 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद, 2 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट और 10 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश डालकर इन्हें खोदी गई मिट्टी से भर दें। मिट्टी ऐसे भरनी चाहिए कि गड्ढा वाली जगह जमीन की सतह से 15-20 सेंटीमीटर ऊपर ही रहे। इससे पौधों के आसपास जलजमाव नहीं होता है। मानसून के दौरान जुलाई और अगस्त माह आम के पौधे लगाने के लिए सबसे उत्तम होता है। आम के पौधे मार्च में भी लगाए जा सकते हैं, बशर्ते सिंचाई का उचित प्रबंध हो।

पौधों का रोपण और उनके बीच की दूरी

आम के पौधों को रोपने के लिए एक सीध में रस्सी की सहायता से निशान बना लेना चाहिए। पौधा लगाते समय पहले से खुदे गड्ढों के बीच में एक गड्ढा खोद लें। अब पौधे को मिट्टी की पिंडी सहित इसमें रखकर खोदी गई मिट्टी भर दें। इसके तुरंत बाद इसकी सिंचाई जरूर करें। बड़े वृक्षों के लिए आपस की दूरी 10 मीटर ×10 मीटर और बौनी किस्म के पौधों के लिए 2.5 मीटर× 2.5 मीटर की दूरी रखनी चाहिए। पौधों के बड़े होने तक इन बीच की जमीन पर कोई फसल भी बोई जा सकती है।

पौधों में खाद का समय और सिंचाई

पौधों को पोषक तत्व मिलते रहें, इसलिए खाद देना जरूरी होता है। जुलाई और फिर सितंबर में खाद देना उचित होता है। इसके लिए पूरी मात्रा में कम्पोस्ट और उसकी आधी मात्रा उर्वरक मिलाकर दें। पौधे लगाने के बाद जुलाई में और बाद में 7 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।

आम की उन्नत प्रजातियां

अल्फांसो, बम्बई, दशहरी, लंगड़ा, चौसा, गुलाबखास, स्वर्णरेखा, हिमसागर, फजरी, सफेदा, कृष्णभोग, तोतापरी, चंद्राकिरण, नीलम, शरबती आदि प्रसिद्ध किस्में हैं। इनमें अल्फांसो, गुलाबखास और स्वर्णरेखा अगेती किस्में हैं, जबकि चौसा और नीलम पछेती किस्में हैं। लंगड़ा, दशहरी और फजरी मध्यम किस्मों में शुमार हैं।

पौधों में फल का लगना और उपज

आम के पौधे 50 से 60 वर्ष तक फल देते हैं। 5 से 12 वर्ष के भीतर इन पौधों पर फल आना शुरू हो जाता है। जून से अगस्त माह के बीच फलों की तुड़ाई होती है। आम की पैदावार पौधों की प्रजाति पर अलग-अलग निर्भर करती है। एक हेक्टेयर में 160 से 200 क्विंटल तक आम की पैदावार हो जाती है।

आम की बिक्री और बाजार

आम की मांग स्थानीय बाजार में भी ज्यादा होती है। बड़े पैमाने पर बिक्री के लिए आसपास के बड़े शहर की थोक या रिटेल फल मंडी से संपर्क करना चाहिए। खुद की वेबसाइट से भी आम की बुकिंग लेकर सप्लाई की जा सकती है। आम पकने से पहले भी पेड़ सहित कच्चे आम बेचकर भी काफी लाभ कमाया जा सकता है। इससे आंधी आदि में पेड़ से आम गिरने पर खुद को नुकसान नहीं झेलना पड़ता है।

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