हाथ और पैर में झुनझुनी को हल्के में न लें, हो सकती है बड़ी समस्या
हाथ और पैर में झुनझुनी (Tingling) से सामान्यतया कोई बड़ी दिक्कत नहीं होती। अक्सर असामान्य तौर पर सोने या बैठने से नस (Nerve) पर दबाव बनता है। इसके चलते झुनझुनी महसूस होने लगती है, पर ऐसा कुछ समय के लिए ही होता है। ऐसे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है, पर उन लोगों को इसको लेकर चिंता जरूर करनी चाहिए जिन्हें अक्सर झुनझुनी महसूस होती रहती है। यह किसी बड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है। इसके साथ ही इससे यह पता चलता है कि हमारे शरीर में किस विटामिन आदि की कमी है या कौन से ऐसे कारण हैं जिनके चलते यह समस्या उत्पन्न हो रही है। ऐसी स्थिति में समय से डॉक्टर को दिखाना ज्यादा बेहतर रहता है।
झुनझुनी के 9 प्रमुख कारण
डायबिटीज
डायबिटीज के मरीजों को झुनझुनी की ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ता है। ऐसे मरीजों में हाई ब्लड शुगर के कारण हाथ और पैर में तंत्रिकाओं (Nerves) को काफी नुकसान पहुंचता है। इससे रक्त वाहिकाओं को भी क्षति पहुंचती है। इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों को जलन और नर्व पेन का भी सामना करना पड़ता है।
किडनी फेल्योर
किडनी फेल्योर के कई कारण हो सकते हैं, झुनझुनी भी उनमें से एक है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज में ऐसा होने की आशंका बनी रहती है। इसीलिए बार-बार झुनझुनी आने पर सचेत हो जाना चाहिए। किडनी फेल्योर से बचने के लिए डॉक्टर को दिखाकर ईएमजी (EMG) या ब्लड टेस्ट कराना ठीक होता है। नहीं तो डायलसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
इंफेक्शन
कई तरह के वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से भी हमारी तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचता है। इन इंफेक्शन में एचआईवी, हेपेटाइटिस B और C आदि शामिल हैं। इसके चलते हाथों और पैरों में झुनझुनी के अलावा चुभन जैसा दर्द महसूस होता रहता है। इन लक्षणों को जानने के बाद डॉक्टर के लिए इलाज करना आसान हो जाता है, इसलिए डॉक्टर को अपनी तकलीफ खुलकर बताएं।
आनुवंशिक विकार
हाथ और पैर में झुनझुनी के पीछे आनुवंशिक विकार (Genetic Disorder) को भी एक कारण माना जाता है। इससे तंत्रिकाओं के साथ-मांसपेशियां भी कमजोर होती हैं। गौर हो कि ये तंत्रिकाएं मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को मांसपेशियों और कोशिकाओं से जोड़ती हैं जो कि स्पर्श, दर्द और तापमान का पता लगाती हैं। आनुवंशिक विकार की स्थिति में भी आसान इलाज संभव है।
गर्भावस्था
गर्भावस्था के दौरान जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है और शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ बनने लगता है, तो तंत्रिकाओं पर दबाव बढ़ जाता है। इससे हाथ और पैर में झुनझुनी बढ़ जाती है। इतना ही नहीं सुन्नता और चुभन भी महसूस होने लगती है। वैसे यह दिक्कत गर्भावस्था खत्म होने के साथ ही दूर हो जाती है, पर ज्यादा दिक्कत होने पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
स्लिप डिस्क
रीढ़ की हड्डी में दर्द या स्लिप डिस्क की दिक्कत की वजह से भी तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ता है। इसकी वजह से हाथ और पैर में झुनझुनी और सुन्नता महसूस होने लगती है। इससे बचने के लिए फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जा सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर रेस्ट की सलाह देते हैं। दिक्कत ज्यादा बढ़ने पर सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
विटामिन की कमी
शरीर की स्वस्थ तंत्रिकाओं के लिए विटामिन B1, B6, B12 एवं विटामिन E और नियासिन (Niacin) की उचित मात्रा में उपलब्धता जरूरी है। इनकी कमी से झुनझुनी की समस्या उत्पन्न होती है। शरीर में विटामिन का स्तर जानने के लिए ब्लड टेस्ट का सहारा लिया जा सकता है। विटामिन की उचित मात्रा के लिए डाइटीशियन से सलाह लेनी चाहिए।
दवा का इस्तेमाल
कई तरह की बीमारियों में इस्तेमाल की जाने वाली दवा की वजह से भी झुनझुनी और सुन्नता की समस्या उत्पन्न हो जाती है। हाई ब्लड प्रेशर, ट्यूबरक्लोसिस, कैंसर और एड्स आदि रोग की दवा लेने वालों को ऐसी दिक्कत हो सकती है। हालांकि, दवा की डोज बदलने या दवा में बदलाव से यह दिक्कत दूर हो जाती है।
अल्कोहल का ज्यादा प्रयोग
ज्यादा मात्रा में अल्कोहल लेने से भी झुनझुनी होने लगती है। इससे शरीर में विटामिन की कमी हो जाती है। इससे तंत्रिकाओं और उत्तकों को नुकसान पहुंचता है, इसलिए इस आदत को बदल देना चाहिए। इसके अलावा थाइराइड और ट्यूमर होने पर भी हाथ और पैर में झुनझुनी की दिक्कत होती है।
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