मां वैष्णो देवी का दर्शन : घूमने, ठहरने, किराया और यात्रा से जुड़ीं जरूरी बातें

मां वैष्णो देवी मंदिर (Mata Vaishno Devi Mandir) हर हिंदू की आस्था का प्रमुख केंद्र है। जम्मू-कश्मीर स्थित इस मंदिर में हर वर्ष करीब 1 करोड़ श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह त्रिकुटा की पहाड़ियों पर 5200 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है। इस मंदिर के दर्शन के लिए चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। पहाड़ी रास्ते की वजह से यह काफी कठिन तीर्थयात्रा मानी जाती है, पर माता के आशीर्वाद से यह यात्रा बहुत ही आसानी से सम्पन्न हो जाती है। पूर्ण और सही तरीके से यात्रा के लिए कम से कम तीन दिन का समय लेकर आना चाहिए। वैसे ऑफ सीजन में यात्रा 2 दिन में ही पूर्ण हो जाती है। सही तरीके से यात्रा पर करीब 7 से 10 हजार रुपये तक का खर्च आता है।

सबसे पहले कटरा पहुंचें

वैष्णो माता के मंदिर यानी भवन तक पहुंचने के लिए कटरा बेस कैंप की तरह काम करता है। यहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 14 किलोमीटर तक की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। मां वैष्णो देवी की यात्रा के लिए आपको पहले जम्मू और फिर कटरा पहुंचना पड़ता है। जम्मू के लिए दिल्ली से कई ट्रेन हैं। यहां के लिए बसें भी मिलती हैं। अब नई दिल्ली से कटरा भी आप सीधे ट्रेन से जा सकते हैं। जम्मू से कटरा की दूरी करीब 45 किलोमीटर है।

यात्रा की शुरुआत और मार्ग

कटरा पहुंचकर आप होटल या हॉल में रुक भी सकते हैं और थोड़ा आराम करने के बाद आगे की यात्रा प्रारंभ की जा सकती है। कटरा से ही दुर्गम यात्रा की शुरुआत होती है। वैष्णो माता के दर्शन के लिए यहां आपको रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है। आप यहां इसके लिए बने काउंटर पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराकर स्लिप ले सकते हैं। इस रजिस्ट्रेशन को श्राइन बोर्ड की वेबसाइट https://www.maavaishnodevi.org/OnlineServices/register.aspx
पर जाकर ऑनलाइन भी करा सकते हैं। यहां से आप दो रास्तों से भवन तक जा सकते हैं- बाणगंगा मार्ग और ताराकोट मार्ग। अगर आपको पिट्ठू, पालकी या खच्चर की सवारी करनी है तो आपको बाणगंगा मार्ग को अपनाना चाहिए, अन्यथा आप ताराकोट कोट मार्ग को चुन सकते हैं। बाणगंगा मार्ग से भवन की दूरी करीब 12.5 किलोमीटर और ताराकोट मार्ग से भवन की दूरी करीब 14 किलोमीटर है। ताराकोट मार्ग में चढ़ाई थोड़ी कम पड़ती है। अगर आप ताराकोट मार्ग से भवन जा रहे हैं तो आते समय बाणगंगा मार्ग से आ सकते हैं। इससे आप बाणगंगा में स्नान कर सकते हैं और साथ ही माता की चरण पादुका के दर्शन कर सकते हैं। भवन से पहले आप अर्ध कुंवारी में गर्भ गृह के दर्शन के अलावा आरती में भी भाग ले सकते हैं। गर्भ गृह के दर्शन में 6 से 12 घन्टे तक लग जाते हैं, इसलिए इतना समय लेकर चलें। अर्ध कुंवारी से भवन के लिए आपको बैटरी कार, पालकी और खच्चर मिल जाते हैं।

हेलीकॉप्टर सेवा से आसानी

आप कटरा से पास स्थित हेलीपैड जाकर यहां से हेलीकॉप्टर के जरिए सीधे सांचीछत पहुंच सकते हैं। हेलीकॉप्टर से आने-जाने दोनों का किराया 3,460 रुपये है। सांचीछत से भवन की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है। यहां से भवन आप आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां पहुंचकर आप लाइन में लगकर माता का दर्शन करें और मुराद मांगें। यहां दर्शन में 2 से 4 घन्टे भी लग सकते हैं। माना जाता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।

भैरव के दर्शन

कहते हैं कि अगर माता के दर्शन के बाद आपने भैरव के दर्शन नहीं किए तो आपकी यात्रा पूरी नहीं होगी। भवन से भैरो मंदिर की दूरी 2 किलोमीटर है। यहां आप घोड़े-खच्चर से या पैदल भी जा सकते हैं। यहां जाने के लिए अब रोपवे सेवा भी है। रोपवे से दोनों तरफ आने-जाने का किराया मात्र 100 रुपये है। भैरव मंदिर में आपको आधे घन्टे में दर्शन हो जाते हैं।

कब जाएं दर्शन करने

माता वैष्णो देवी के अच्छे से दर्शन करना चाह रहे हैं तो नवरात्र और दशहरा में यहां दर्शन करने न जाएं। इस दौरान यहां काफी भीड़ रहती है। मानसून के सीजन में भी वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाने से बचना चाहिए, क्योंकि इस समय भूस्खलन आदि का खतरा रहता है। यहां यात्रा का सबसे सही समय मार्च से सितंबर है।

क्या लेकर न जाएं

माता वैष्णो देवी मंदिर यानी भवन में दर्शन के लिए जाते वक्त चमड़े का बैग लेकर न जाएं। बैग आदि में मेकअप का सामान भी नहीं होना चाहिए। पुरुष बेल्ट पहनकर न जाएं, अन्यथा इसे बाहर ही उतरवा दिया जाता है। यहां मोबाइल फोन ले जाने पर भी पाबंदी है।

माता वैष्णो देवी के बारे में

त्रिकुटा की पहाड़ियों पर स्थित 98 फीट लंबी गुफा में मां वैष्णो देवी की तीन मूर्तियां स्थापित हैं। ये तीनों देवियां काली (दाएं), सरस्वती (बाएं) और मां लक्ष्मी (मध्य) में पिंडी के रूप में विराजित हैं। इन तीनों देवियों के सम्मिलित रूप को मां वैष्णो देवी के रूप में जाना जाता है। इस स्थान को भवन भी कहा जाता है। यहीं मां ने भैरव नाथ का वध किया था। एक कथा के अनुसार भैरव मां वैष्णो देवी को मारने के लिए उनका पीछा कर रहा था। वध के बाद उसका सिर यहां से करीब दो किलोमीटर दूर गिरा था, जहां आज भैरव मंदिर है। भैरव की क्षमा याचना पर माता ने उसे आशीर्वाद दिया था कि हर श्रद्धालु के लिए मेरा दर्शन तभी पूर्ण माना जाएगा, जब वह मेरे दर्शन के बाद तुम्हारा भी दर्शन करेगा।

माना जाता है कि यह मंदिर हजारों सालों से है। करीब 700 वर्ष पहले पंडित श्रीधर ने माता वैष्णो देवी का यह मंदिर ढूंढ़ा था।

आसपास क्या घूमें

यदि आप माता वैष्णो देवी मंदिर जा रहे हैं तो शिवालिक की पहाड़ियों में स्थित प्रमुख हिल डेस्टिनेशन पटनी टॉप, झज्जर कोटली, बटोत, उधमपुर जिले के गांव कुद और हिल स्टेशन सानासर जरूर घूमने जाएं।

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