बैजनाथ धाम यानी देवघर की संपूर्ण जानकारी, कब जल चढ़ाने जाएं
झारखंड के देवघर स्थित बैद्यनाथ मंदिर (Baidyanath Temple) सिद्धपीठों में से एक है। इसे बैजनाथ धाम (Baijnath dham), बाबा धाम (Baba Dham) या देवघर (Devghar) के नाम से भी जाना जाता है। देवघर यानी देवताओं का घर, यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां भोलेनाथ का बहुत ही भव्य मंदिर बना हुआ है। हर साल सावन के महीने में यहां मेला लगता है। यहां पवित्र शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं। ऐसी मान्यता है कि देवघर आने वालों की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां स्थित शिवलिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है। यहां पहुंचना और ठहरना बहुत ही आसान है।
देवघर मंदिर और अन्य प्रमुख आकर्षण
श्रावण मास में श्रद्धालु बोल बम का जयकारा लगाते हुए देवघर पहुंचते हैं। इसके लिए करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित सुल्तानगंज से जल भरकर पैदल यात्रा कर पहुंचना होता है। शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए पात्र में भरे जल को रास्ते में कहीं भी जमीन पर नहीं रखना होता है। बहुत से लोग बासुकीनाथ मंदिर में भी जल चढ़ाने जाते हैं। इस मंदिर से देवघर की दूरी करीब 42 किलोमीटर है। बैद्यनाथ मंदिर के पास अनेक मंदिर मंदिर बने हुए हैं, पर बैद्यनाथ मंदिर सबसे पुराना बना हुआ है। मंदिर के समीप ही विशाल तालाब बना हुआ है।
मंदिर के स्थापना से जुड़ी कथा
पुराणों के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक बार दशानन रावण हिमालय पर तप कर रहा था। वह अपना एक-एक सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ाता जा रहा था। उसने अपने 9 सिर चढ़ा दिए। जब वह अपना 10वां सिर काटकर चढ़ाने जा रहा था तो शिव जी प्रकट हुए और उससे वर मांगने को कहा। तब रावण ने उनसे शिवलिंग को लंका में स्थापित करने का वर मांग लिया। भोलेनाथ ने उसकी इच्छा पूरी की, पर साथ में एक शर्त रख दी। उन्होंने कहा कि अगर रास्ते में शिवलिंग को कहीं रख दिया तो वह वहीं अचल हो जाएगा यानी वह उठेगा नहीं। रावण ने शिव जी की यह शर्त मान ली।
शिवलिंग को लंका में ले जाने के बारे में पता चलते ही देवता चिंतित हो उठे। वे विष्णु भगवान के पास गए। तब विष्णु जी ने वरुण देव को आचमन के जरिए रावण के पेट में घुसने के लिए कहा। इसी के चलते जब रावण शिवलिंग लेकर चला तो रास्ते में उसे लघुशंका लगी। तब रावण ने बैजू नाम के ग्वाले को शिवलिंग पकड़ा कर लघुशंका के लिए चला गया। काफी देर होने और शिवलिंग के भारी लगने पर उसे वहीं जमीन पर स्थापित कर दिया। तभी से देवघर में शिव जी की पूजा होने लगी।
कैसे जाएं, कहां ठहरें
देवघर का निकटतम हवाई अड्डा पटना में है। यहां से इसकी दूरी करीब 274 किलोमीटर है। देवघर पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन जसीडीह है, जो यहां से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। झारखंड रोडवेज की बसों या निजी वाहन से भी यहां पहुंचा जा सकता है।
यहां ठहरने के लिए आपको सस्ते रेट पर भी होटल मिल जाएंगे। 700 रुपये से लेकर 3,300 तक के होटल देवघर में आसानी से मिल जाते हैं।
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