ठंड में इन दो खतरों से सावधान रहें
ठंड में थोड़ी सी लापरवाही बच्चों और वृद्धों के लिए ही नहीं, युवाओं के लिए भी दिक्कत का कारण बन सकती है। ऐसे मौसम में ज्यादा देर तक खुले में रहने वालों को हाइपोथर्मिया (Hypothermia) और फ्रॉस्टबाइट (Frostbite) का सामना करना पड़ सकता है। अति ठंड की स्थिति में ही ये दोनों दिक्कतें सिर उठाती हैं, इसलिए ऐसी स्थिति से बचाव आवश्यक है। इनके लक्षण नजर आने के बाद तो तुरंत बचाव एकदम आवश्यक हो जाता है। इन लक्षणों से जानें कहीं आप हाइपोथर्मिया और फ्रॉस्टबाइट के शिकार तो नहीं।
हाइपोथर्मिया (Hypothermia)
हाइपोथर्मिया में शरीर का तापमान बहुत नीचे चला जाता है। ऐसी स्थिति दिमाग पर गहरा असर डालती है। व्यक्ति न तो सही से सोच पाता है, न ही खुद से चल पाता है। शरीर में कंपकपाहट के साथ ही थकान महसूस होती रहती है। हाइपोथर्मिया में याद्दाश्त खोने का खतरा भी बना रहता है। कई ऐसे केस भी सामने आए हैं, जिनमें बेडरूम में सो रहे बच्चे भी हाइपोथर्मिया के शिकार मिले। निष्कर्ष में यह पाया गया कि ऐसे बच्चों के बेडरूम बहुत ठंडे थे। अल्कोहल और प्रतिबंधित दवा लेने वालों को भी हाइपोथर्मिया के शिकार होने की आशंका बनी रहती है।
ऐसे करें बचाव : पीड़ित व्यक्ति के ठंडे कपड़े तुरंत उतारकर उसे गर्म कपड़े पहनाएं। उसे कोई गर्म पेय पदार्थ दें। गर्म दूध में हल्दी मिलाकर भी दिया जा सकता है। ऐसा करने पर थोड़ी देर बाद शरीर का तापमान बढ़ जाता है। इसके बाद पीड़ित को रजाई या कंबल ओढ़ाकर देर आराम करने दें। फिर भी स्थिति न सुधरे तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
फ्रॉस्टबाइट (Frostbite)
फ्रॉस्टबाइट का खतरा बर्फ में समय गुजारने वालों को ज्यादा होता है। ऐसी स्थिति में शरीर के कई भाग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। आम तौर पर अंगुली, नाक, कान या पैर के अंगूठे को क्षति पहुंचती है। इन हिस्सों में न तो कोई अनुभूति होती है, न ही इनका कोई रंग पता चलता है। फ्रॉस्टबाइट के पीड़ितों का रक्त प्रवाह कम हो जाता है। ऐसे व्यक्ति के शरीर की त्वचा लाल पड़ने लगती है और उनमें दर्द महसूस होता है।
इस तरह बचाव करें : फ्रॉस्टबाइट के पीड़ितों को तुरंत गर्म स्थान पर ले जाना चाहिए। इनके क्षतिग्रस्त अंगों को गुनगुने पानी में डालकर सेंकना चाहिए। इन अंगों पर भूलकर भी बर्फ न रगड़ें। ऐसे लोगों को उनके क्षतिग्रस्त अंगों के सहारे न तो खड़े होने दें, न ही चलने दें। ऐसे पीड़ितों को जितना जल्द से जल्द हो सके, डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
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