सिर्फ तनाव ही नहीं, कई बीमारियों से छुटकारा दिलाता है अनुलोम विलोम

प्राचीनकाल के महर्षियों ने कहा है-जिसने प्राण को साध लिया, उसके लिए कुछ और साधना शेष नहीं रह जाता। प्राणायाम (Pranayam) शब्द सीधा इसी जुड़ा हुआ है। यानी प्राणों के सम्यक और संतुलित प्रवाह को ही प्राणायाम कहते हैं। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है -प्राणायाम = प्राण+आयाम। इसका अर्थ है प्राण (श्वसन) को आयाम (विस्तार) देना। इस तरह अगर आप श्वसन या जीवन शक्ति को बढ़ाना चाहते हैं तो प्राणायाम जरूर करें। इसमें भी खास तौर से अनुलोम विलोम प्राणायाम (Anulom Vilom Pranayam)। अनुलोम का अर्थ है सीधा और विलोम का अर्थ है उल्टा। यह सांस की ऐसी क्रिया है, जिसे करने से एक नहीं, अनेक फायदे होते हैं। यह प्राणायाम तनाव और बढ़ा वजन कम करने के साथ ही शरीर को कई बीमारियों से छुटकारा दिलाता है।

अनुलोम विलोम करने की विधि

  • सबसे पहले स्वच्छ वातावरण का चुनाव करें। समतल फर्श पर आसन के लिए मैट बिछाएं और दोनों पैर मोड़कर उस पर शांतचित्त से बैठ जाएं।
  • अब अपने दाहिने नथुने (Nostril) को दाहिने हाथ के अंगूठे से दबाएं। इसी दौरान अपने बाएं नथुने से जितना हो सके, उतनी सांस अंदर खींचें।
  • पूरी सांस अंदर भरने के बाद अब बाएं नथुने को अनामिका अंगुली से बंद कर लें और दाहिने नथुने खोलकर धीरे-धीरे सांस को बाहर निकालें। इस तरह एक क्रम पूरा हुआ।
  • अब बाएं नथुने को बंद कर दाहिने नथुने से अंदर की ओर सांस खींचे। फिर दाहिने नथुने को बंदकर बाएं से पूरी सांस धीरे-धीरे बाहर निकाल दें।
  • इस तरह पूरे स्टेप को 8-10 बार सुबह खाली पेट करें। शाम को इसे सूर्यास्त के समय किया जा सकता है।

इस प्राणायाम के फायदे

  • अनुलोम विलोम प्राणायाम को करने से तनाव और चिंता दूर होती है।
  • शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है। इससे एकाग्रता बढ़ती है और माइग्रेन से आराम मिलता है।
  • फेफड़े को मजबूती मिलती है। अस्थमा रोगियों के लिए यह लाभदायक है।
  • इससे डाइबिटीज, गठिया और हृदय रोगों से काफी राहत मिलती है।
  • पाचन तंत्र में काफी सुधार होता है। कब्ज और मरोड़ की दिक्कत दूर होती है।

क्या बरतें सावधानी

  • अनुलोम विलोम सूर्योदय से 30 मिनट पहले या सूर्योदय के 1 घन्टे बाद तक के समय में करना उचित होता है।
  • गर्भवती महिलाओं और ब्लड प्रेशर के मरीजों को अनुलोम-विलोम नहीं करना चाहिए।
  • इस प्राणायाम को करने और खाने के बीच का अंतराल कम से कम 4 घन्टे होना चाहिए।
  • दोपहर के समय यह प्राणायाम कदापि न करें। ज्यादा तापमान में भी इसको करने से बचना चाहिए।
  • कभी भी जल्दबाजी में इस प्राणायाम को न करें। इसका उल्टे नुकसान होता है।
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