अच्छे श्रोता बनने के 7 तरीके

श्रोता बनें, अच्छे वक्ता अपने आप बन जाएंगे।

अच्छे श्रोता बनकर आप खुद का ही नहीं, औरों का भी भला कर पाते हैं। अगर आप बेहतर सुनने वाले हैं तो दूसरों की नजर से भी दुनिया देखने के आपको अतिरिक्त गुण मिल जाते हैं। सामने बोलने वाले के अनुभवों का लाभ आपको स्वत: मिलने लगता है। इससे आपकी समझ और संवेदनशीलता दोनों बढ़ती है। इसके अलावा आत्मविश्वास, धैर्य और संवाद की क्षमता में भी गजब का सुधार होता है। इन सात तरीकों से जानें एक अच्छे श्रोता कैसे बन सकते हैं? छात्रों में तो ये गुण होने ही चाहिए।

1. आई कॉन्टैक्ट

सामने बोलने वाले वक्ता से जिसका आई कॉन्टैक्ट जितना अच्छा होगा, उसे उतने ही अच्छे श्रोता की संज्ञा दी जा सकती है। अगर आप सही से सुन नहीं पाते हैं तो अच्छे से जवाब भी नहीं दे सकते। आपका बेहतर जवाब आपको आगे ले जा सकता है तो एक गलत जवाब आपको नीचे भी गिरा सकता है।

2. जीभ एक, कान दो

ठीक कहा है कि प्रकृति ने हमें जीभ तो एक दी है, पर कान दो दिए हैं, इसलिए हम बोलने से दोगुना अधिक कहीं सुन सकते हैं। हमें ऐसा महसूस करना चाहिए कि सुनी गई बात हमें किसी और को बतानी है। फिर हम कहीं बेहतर सुन पाते हैं। इससे हम ज्यादा अलर्ट रहते हैं और हमारी समझदारी भी बढ़ती है।

3. वर्तमान को पकड़ें

अच्छे श्रोता की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि वह सुनते समय वर्तमान में जीता है। इस दौरान आपके ऊपर न अतीत हावी होना चाहिए, न ही भविष्य। फिर आप सुनी गई बात को शब्दशः और सही तथ्यों के साथ उसी रूप में ग्रहण कर पाते हैं। इस तरह ये बातें आपको ज्यादा देर तक याद रह पाती हैं।

4. चेहरे का हाव-भाव

जब भी आप किसी की बात सुन रहे हों तो उस दौरान आपके चेहरे का हाव-भाव बहुत मायने रखता है। मसलन, अगर वक्ता की बात अच्छी लगे तो आपके चेहरे पर मुस्कान दिखनी चाहिए, उसकी बात से आप सहमत हैं तो सहमति में आपका सिर जरूर हिलना चाहिए। इससे वक्ता को प्रसन्नता होती है और वह आपके लिए बेहतर तरीके से अपनी बातों को रख पाता है।

5. स्पीकर से संवाद

सामने वाला अगर आपको किसी ऐसी परिस्थिति के बारे में बता रहा है, जिससे आप खुद कभी गुजर चुके हैं तो उसे उसके बारे में जरूर बताएं। इससे वक्ता आपसे काफी खुश होगा और आपके अनुभव से उसे भी बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। बेहतर संवाद से अच्छे संबंध बनते हैं और संबंध अच्छे हों तो बहुत कुछ बातें आप वक्ता से जान सकते हैं।

6. बात संक्षेप में

स्पीच या बात चाहे जितनी भी लंबी हो, अच्छा श्रोता उसे अपने लिए संक्षेप में जरूर कर लेता है। इसके लिए किसी कागज या पेन की जरूरत नहीं है। सुनते समय ही मुख्य बातों को अपने दिमाग में बैठाते जाना चाहिए। इसे बिंदुवार बनाना सही रहता है। इस तरह से बड़ी से बड़ी स्पीच भी भूलती नहीं है।

7. मानसिक शांति

अगर मानसिक शांति नहीं है तो आप किसी भी बात को ज्यादा ग्रहण नहीं कर पाते। इसके पीछे कारण यह है कि एक समय में आपके अंदर कई बातें चलती रहती हैं। इससे आपकी स्मृति में स्पीकर की बात पूरी तरह से अंकित नहीं हो पाती। मानसिक शांति के लिए रोज नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद जरूरी है।

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