मथुरा और वृंदावन के मंदिरों के संपूर्ण दर्शन सिर्फ 24 घंटे में करें

मथुरा (Mathura) और वृंदावन (Vrindavan) ऐसी धार्मिक नगरी हैं, जहां से करोड़ों हिंदुओं की आस्थाएं जुड़ी हुई हैं। यहां भगवान श्रीकृष्ण के बचपन और युवावस्था की तमाम लीलाओं से जुड़े ऐतिहासिक मंदिरों और स्थानों के दर्शन होते हैं। इस ब्रज भूमि का कण-कण बहुत पवित्र माना जाता है। यहां श्रीकृष्ण और राधा रानी को समर्पित कई मंदिर हैं। यमुना के तट पर नौका विहार से असीम शांति की अनुभूति होती है। यहां पहुंचकर आप श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, बांके बिहारी मंदिर, निधि वन और इस्कॉन मंदिर आदि का दर्शन कर सकते हैं। मथुरा और वृंदावन ठीक से घूमने के लिए 2-3 दिन का समय निकालना बेहतर होता है। हालांकि, बहुत जल्दबाजी में आप 24 घन्टे में भी दोनों जगह घूम सकते हैं।

मथुरा-वृंदावन के टूर की शुरुआत वृंदावन से करना ज्यादा ठीक रहता है। ध्यान रखें कि मथुरा और वृंदावन के अधिकतर मंदिर दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक बंद रहते हैं, इसलिए दर्शन करने जाने के लिए इसके आगे-पीछे ही कोई समय निकालें।

यात्रा का पहला दिन

वृंदावन से यात्रा की शुरुआत के लिए आप यहां दिन में 2 बजे के करीब पहुंच जाएं। यहां प्रेम मंदिर और इस्कॉन मंदिर के आसपास ही अपना होटल लें। यहां करीब 2 से 2:30 घन्टे रुकने के बाद आप घूमने निकल जाएं। आसपास ही कई मंदिर हैं। बारी-बारी से आप सबका दर्शन कर सकते हैं।

1. माता वैष्णो देवी मंदिर (Maa Vaishno Devi Dham)

माता वैष्णो देवी मंदिर वृंदावन के मध्य में स्थित है। यह 11 एकड़ जमीन पर बना है। इसमें मां वैष्णो देवी की 141 फीट ऊंची विशाल मूर्ति लगी है। इसमें कोई एंट्री फीस नहीं है। यहां आप 30 मिनट तक आराम से घूम सकते हैं।

2. इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple)

माता वैष्णो देवी मंदिर के पास ही इस्कॉन मंदिर है। इसे श्रीकृष्ण बलराम मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर को यहां 1975 में बनवाया गया था। कहा जाता है कि इस जगह पर कभी श्रीकृष्ण बलराम और अन्य सखाओं के साथ खेलते थे और गायें चराते थे। यह मंदिर यमुना नदी के तट पर स्थित है।

3. प्रेम मंदिर (Prem Mandir)

प्रेम मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है। इसको बनाने में 11 वर्ष का समय लगा। इसमें इटैलियन करारा संगमरमर के प्रयोग हुआ है। इसे बनाने में करीब 100 करोड़ की लागत आई थी। यहां आप राधा-कृष्ण की मनोहर झांकियां, कालिया नाग दमन लीला, गोवर्धन लीला आदि झांकियों के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर में कुल 94 स्तंम्भ हैं। यहां प्रवेश पूरी तरह से निशुल्क है। यहां आप फाउंटेन शो का भी लुत्फ उठा सकते हैं। यहां रात में घूमना बहुत ही सुखद अनुभव होता है। इस जगह पर आप फोटो भी ले सकते हैं। यहां घूमने के बाद आप होटल में पहुंच जाएं और डिनर लेकर जल्दी सो जाएं। इससे पहले रास्ते में आप स्ट्रीट फूड का भी आनंद उठा सकते हैं।

यात्रा का दूसरा दिन

1. बांके बिहारी मंदिर (Banke Bihari Temple)

सुबह 6 बजे तक उठकर आप घूमने जाने के लिए तैयारी कर लें। अब अपने होटल से रवाना हो जाइए बांके बिहारी मंदिर के लिए। यह मंदिर सुबह आठ बजे खुल जाता है। यह वृंदावन के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण 1864 में स्वामी हरिदास ने करवाया था। बांके बिहारी कृष्ण का ही एक रूप है। यहां दर्शन कर एक अलौकिक अनुभूति होती है। ऐसी मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ही समस्त पापों का नाश हो जाता है।

2. निधिवन (NidhiVan)

ढाई एकड़ में फैले निधिवन के बारे में बहुत ही रहस्यमय किस्सा चर्चित है। ऐसी मान्यता है कि निधिवन में श्रीकृष्ण और राधा आज भी अर्धरात्रि के बाद रास रचाते हैं। इसके बाद वे निधिवन परिसर में स्थित रंगमहल में शयन करते हैं। रंगमहल में रोज प्रसाद के तौर पर माखन-मिश्री रखा जाता है। यहां शयन के लिए पलंग लगाया जाता है। सुबह देखने पर यहां प्रतीत होता है कि जैसे रात में यहां विश्राम के लिए कोई आया हो और प्रसाद ग्रहण किया हो। कहा जाता है कि निधिवन में रात की श्रीकृष्ण रासलीला को जो भी देख लेता है, वह अंधा, गूंगा-बहरा या पागल बन जाता है ताकि वह इस रासलीला के बारे में किसी को कुछ और न बता सके। इसीलिए रात 8 बजे के बाद इस परिसर से सभी श्रद्धालु और पुजारी आदि चले जाते हैं। यहां तक कि पशु-पक्षी भी इस परिसर में नहीं रह जाते हैं। फिर सुबह ही यहां कोई जाता है।

निधिवन यमुना से करीब 300 मीटर की दूरी पर स्थित है। यहां 16,000 वृक्ष हैं। इनकी लताएं आपस में गुंथी हुईं हैं और नीचे की तरफ झुकी हैं। ऐसी मान्यता है कि यही वृक्ष रात को श्रीकृष्ण की 16,000 रानियां बनकर उनके साथ रास रचाती हैं। निधिवन में बंदर बहुत हैं, इसलिए यहां घूमते समय अपने सामान का खास ध्यान रखें।

इसके बाद अब यहीं से निकल जाएं श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर मथुरा के लिए। यहां से इसकी दूरी करीब 11 किलोमीटर है। आप वहां ऑटो से भी करीब 30-40 मिनट में पहुंच सकते हैं।

3. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, मथुरा (Shri Krishna Janmabhoomi Temple, Mathura)

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर का इतिहास बहुत उतार-चढ़ाव भरा है। यह मंदिर तीन बार तोड़ा गया। इसे चार बार में बनाया गया। जिस स्थान पर यह मंदिर है, वहां करीब पांच हजार साल पहले राजा कंस का कारागार हुआ करता था। इसी में भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था। इस स्थान की बहुत मान्यता है। 1699 में औरंगजेब ने इस मंदिर के एक हिस्से को तुड़वा दिया था और इसके एक हिस्से पर ईदगाह का निर्माण करवा दिया था।

यहां घूमने के बाद आप विश्राम घाट के लिए जा सकते हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से इसकी दूरी करीब 1.5 किलोमीटर है।

4. विश्राम घाट (Vishram Ghat)

यह मथुरा के 25 घाटों में से एक प्रमुख घाट है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने कंस का वध कर इस स्थान पर विश्राम किया था। यहां आप घाट पर स्नान करने के अलावा घूम सकते हैं और नौका विहार भी कर सकते हैं। यहां बहुत ही शांति की अनुभूति होती है। आप विश्राम घाट के नजदीक स्थित द्वारकाधीश मंदिर भी घूम सकते हैं। इसके बाद आप चाहें तो अपने गंतव्य को रवाना हो सकते हैं या अन्य बाकी मंदिर भी घूम सकते हैं।

घूमने के अन्य स्थान

गोवर्धन पर्वत (Govardhan Hill)

मथुरा ट्रिप के दौरान आप गोवर्धन पर्वत भी घूम सकते हैं। मथुरा से यहां की दूरी करीब 22 किलोमीटर है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाया था। यहां परिक्रमा के लिए बहुत दूर-दूर से भक्त आते हैं। यह परिक्रमा करीब 21 किलोमीटर की है। इसे पूरा करने में 5 से 6 घन्टे लग जाते हैं। इसलिए जब आपके पास इतना समय हो तभी यहां का टूर बनाएं।

इसके अलावा मथुरा-वृंदावन ट्रिप के दौरान आप कंस किला, मथुरा संग्रहालय, कुसुम सरोवर, श्री गोपीनाथ मंदिर, राधारमन मंदिर आदि का दर्शन कर सकते हैं।

कैसे जाएं घूमने

दिल्ली से आप मथुरा सड़क और ट्रेन मार्ग दोनों से पहुंच सकते हैं। दिल्ली से मथुरा की दूरी करीब 183 किलोमीटर है। यमुना एक्सप्रेस-वे के जरिए आप यहां करीब 3 घंटे में पहुंच सकते हैं। आगरा से मथुरा की दूरी करीब 57 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से करीब 1 घन्टा 20 मिनट में यहां पहुंचा जा सकता है।

टूर का सही समय

उत्तर भारत के अन्य शहरों की तरह मथुरा-वृंदावन में भी गर्मी पड़ती है, इसलिए यहां नवंबर से मार्च महीने के बीच घूमने जाना ज्यादा उचित रहता है। बरसाना की लठमार होली बहुत प्रसिद्ध है। आप होली के समय यहां पहुंचकर इस ऐतिहासिक पल का गवाह बन सकते हैं।

0.00 avg. rating (0% score) - 0 votes
0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply

Your email address will not be published.