खूनी दरवाजा, दिल्ली (Khooni Darwaza, Delhi) (खुलने का समय, दिन, प्रवेश शुल्क, कैसे जाएं घूमने)
खूनी दरवाजा, दिल्ली (Khooni Darwaza, Delhi) को लाल दरवाजा (Lal Darwaza) के नाम से भी जाना जाता है। रक्तरंजित इतिहास के चलते इसका यह नाम पड़ा। बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित यह दरवाजा दिल्ली के बचे हुए 13 ऐतिहासिक दरवाजों में से एक है। इसे सम्राट शेरशाह सूरी ने 1540 में बनवाया था। इसके निर्माण में मुगल-अफगान वास्तु कला का बखूबी इस्तेमाल किया गया है। पुरातत्व संरक्षण विभाग की ओर से यह संरक्षित इमारत है। इस दरवाजे से इतिहास के कई खौफनाक किस्से जुड़े हुए हैं। कहा जाता है कि अब भी मानसून में खूनी दरवाजे से खून टपकता है। हालांकि, इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है।
खूनी दरवाजे का इतिहास
- स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम आंदोलन के समय 1857 में ब्रिटिश जनरल विलियम हॉडसन ने मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर के बेटे मिर्जा मुगल और मिर्जा खिज्र तथा उसके पोते मिर्जा अबू बक्र को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया। इतना ही नहीं, उसने इन तीनों को नग्न कर लाल दरवाजे की जगह गोली मारकर इनकी हत्या कर दी। इनके शवों को उसी हालत में छोड़ दिया गया था।
- अकबर के बाद दिल्ली की सल्तनत संभालने वाले जहांगीर ने अकबर के नवरत्नों में से एक अब्दुल रहीम खानखाना के दोनों बेटों को इसी दरवाजे पर मरवा डाला था। तब इनके शवों को यहीं सड़ने के लिए छोड़ दिया गया था। इन दोनों पर जहांगीर के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा था।
- औरंगजेब ने मुगल साम्राज्य का सिंहासन पाने के लिए अपने बड़े भाई दारा शिकोह को न सिर्फ हराया बल्कि उसकी हत्या कर उसके सिर को इसी दरवाजे पर लटका दिया था।
- 1947 में देश के विभाजन के समय इसी दरवाजे पर सैकड़ों शरणार्थियों की हत्या कर दी गई थी। आसपास के बहुत से लोगों का मानना है कि आज भी रात के समय यहां से चीखने-चिल्लाने की आवाज आती है। उनके अनुसार इस इलाके में भूत-प्रेत रहते हैं। हालांकि, उनके पास इसका कोई प्रमाण नहीं है।
- कहा जाता है कि 1739 में जब नादिरशाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया तब भी इस दरवाजे के पास काफी खून-खराबा हुआ था।
- दिसबंर 2002 में यहां एक छात्रा से बलात्कार के बाद लोगों का प्रवेश बंद कर दिया गया।
खूनी दरवाजे से जुड़े रोचक तथ्य
खूनी दरवाजा 15.5 मीटर ऊंचा है। यह क्वार्टजाइट पत्थर से बना है तथा तीन मंजिला है। इसमें ऊपर चढ़ने के लिए तीन सीढ़ियां बनाई गई हैं।
खूनी दरवाजा को पहले काबुली दरवाजा भी कहा जाता था, क्योंकि तब अफगानिस्तान से आने वाले लोग इस दरवाजे से गुजरते थे।
खुलने का दिन और समय
खूनी दरवाजा सोमवार से शनिवार तक सुबह 10:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है। यह रविवार को बंद रहता है।
प्रवेश के लिए शुल्क
खूनी दरवाजे में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है। यहां घूमने के लिए कम से कम 30 मिनट का समय चाहिए।
खूनी दरवाजा का पता
खूनी दरवाजा (Khuni Darwaja), बहादुर शाह जफर मार्ग, बाल्मीकि बस्ती, विक्रम नगर, नई दिल्ली-110002
(अपोजिट फिरोजशाह कोटला मैदान)।
खूनी दरवाजा कैसे पहुंचें
खूनी दरवाजा तक पहुंचने के लिए नजदीकी मेट्रो स्टेशन वायलेट लाइन (Violet line) स्थित आईटीओ है। यहां से खूनी दरवाजा तक की दूरी 700 मीटर है। ब्ल्यू लाइन (Blue line) स्थित प्रगति मैदान (सुप्रीम कोर्ट) मेट्रो स्टेशन उतरकर भी आप खूनी दरवाजा तक जा सकते हैं। यहां से यह 2.8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
आसपास घूमने की जगह
खूनी दरवाजा टूर के दौरान आप आसपास स्थित दिल्ली के कई अन्य प्रमुख स्थलों पर भी घूम सकते हैं। इन स्थलों में फिरोज शाह कोटला किला, शंकर अंतरराष्ट्रीय डॉल म्यूजियम, नेशनल जूलॉजिकल पार्क (दिल्ली चिड़िया घर), पुराना किला, राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र, इंडिया गेट और लाल किला शामिल है।
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