हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह (Hazrat Nizamuddin Aulia Dargah, Delhi) की पूरी जानकारी, इतिहास, खुलने का समय
हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह (Hazrat Nizamuddin Aulia Dargah) दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के पास मथुरा रोड से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यहां बने हजरत निजामुद्दीन औलिया के मकबरे की ख्याति बहुत दूर-दूर तक फैली हुई है। इस पवित्र दरगाह पर हाजिरी लगाने के लिए रोजाना देश-विदेश से सैकड़ों लोग आते हैं। दिवाली पर भी दरगाह में भव्य सजावट की जाती है। हिंदू धर्म के लोग भी यहां दीये जलाने के लिए पहुंचते हैं, इसीलिए इस दरगाह को गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल के तौर पर जाना जाता है। यहां आने वाले फरियादी दरगाह में बनीं जालियों में मन्नत का धागा बांधते हैं। कहते हैं कि यहां सच्चे मन से मांगी हर मन्नत कबूल होती है।
संत निजामुद्दीन सभी धर्मों में लोकप्रिय
हजरत निजामुद्दीन औलिया (1236-1325), जिनके नाम पर यह पवित्र दरगाह है, वह चिश्ती घराने के चौथे संत थे। उनका पूरा नाम हजरत ख्वाजा सैयद मोहम्मद निजामुद्दीन औलिया है। उनका जन्म 19 अक्टूबर 1238 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुआ था। 20 वर्ष की उम्र में वह अपनी माता और बड़ी बहन के साथ दिल्ली आ गए थे। रूहानी ताकत के मालिक बाबा फरुद्दीन (बाबा फरीद) उनके गुरु थे। संत निजामुद्दीन ने अपनी पूरी जिंदगी खुदा की इबादत और लोगों की खिदमत में लगा दी। वे कहते थे कि हर इंसान खुदा का बनाया हुआ है, इसलिए इंसान से मोहब्बत सही मायनों में खुदा से मोहब्बत है। यही कारण है कि वे न सिर्फ इस्लाम बल्कि सभी धर्म के लोगों में बराबर लोकप्रिय हुए। उन्हें महबूब-ए-इलाही भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि 1303 में इनके कहने पर मुगल सेना ने हमला रोक दिया था। उन्होंने दुनिया को ईमानदारी, नेकी और सहनशीलता की तालीम दी। अपने गुरु बाबा फरीद से अजोधर (अब पाक पट्टन शरीफ, पाकिस्तान में स्थित) में तालीम लेकर लौटने के बाद संत निजामुद्दीन दिल्ली में आखिरी समय तक रहे, इसीलिए उस जगह का नाम निजामुद्दीन पड़ गया। 3 अप्रैल 1325 को 92 वर्ष की आयु में उन्होंने आखिरी सांस ली। इसके बाद तुगलक वंश के शासक मुहम्मद बिन तुगलक ने इस दरगाह का निर्माण शुरू करवाया। हालांकि, इसके नवीनीकरण का काम 1562 तक किया जाता रहा।
दरगाह में खुसरो और जहांआरा के भी मकबरे
संत हजरत निजामुद्दीन को कव्वाली बहुत पसंद थी, यही कारण है कि संगीत प्रेमी और प्रसिद्ध शायर अमीर खुसरो तथा हजरत नसीरुद्दीन महमूद चिराग देहलवी उनके प्रमुख शिष्य बन गए थे। अमीर खुसरो संत निजामुद्दीन के बहुत प्रिय थे। निजामुद्दीन स्थित दरगाह में खुसरो का भी मकबरा बना हुआ है। इसके अलावा मुगल राजकुमारी जहांआरा बेगम और इनायत खां के मकबरे भी बनाए गए हैं। हजरत निजामुद्दीन और अमीर खुसरो की बरसी पर दरगाह में उर्स (मेला) आयोजित किया जाता है। इस दौरान यहां बहुत भीड़ जुटती है। पास में स्थित निजामुद्दीन मार्केट में दुकानों पर चादरें, टोपियां और लोहबान आदि लेकर श्रद्धालु दरगाह में पहुंचते हैं। दरगाह में पहुंचने वाले सभी श्रद्धालुओं का सिर और कंधे ढके होने जरूरी हैं।
हजरत निजामुद्दीन हैं तो दिल्ली है
कहा जाता है कि संत हजरत निजामुद्दीन हैं तो दिल्ली है, वरना नहीं है। ऐसा जिक्र आता है कि जिस भी सुल्तान ने निजामुद्दीन औलिया का सम्मान नहीं किया, उसका राज्य बहुत अधिक दिन नहीं चला। खिलजी वंश के आखिरी शासक कुतुबुद्दीन मुबारक शाह ने कभी संत निजामुद्दीन की शान में गुस्ताखी कर दी थी। फिर उसके वंश में कोई नहीं बचा।
दरगाह की वास्तुकला और बनावट
निजामुद्दीन की दरगाह इस्लामी वास्तुशैली का बेहतरीन उदाहरण है। दरगाह के अंदर एक छोटा सा चौकोर कमरा बना हुआ है, जो संगमरमर से निर्मित है। इसके गुम्बद पर काले रंग की लकीरें बनाई गई हैं। यह मकबरा चारों ओर से मदर ऑफ पर्ल कैनोपी और मेहराबों से घिरा हुआ है। यह हमेशा झिलमिलाती चादरों से पटा रहता है।
हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह खुलने और बंद होने का समय
हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह श्रद्धालुओं के लिए सुबह 5:00 बजे खुल जाती है और रात को 10:30 बजे तक खुली रहती है। यहां प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लगता है।
कव्वाली का समय
- गुरुवार सुबह 6:00 बजे से शाम 7:30 बजे तक।
- गुरुवार शाम 7:30 बजे। रात 9:00 बजे से 10:30 बजे तक।
निजामुद्दीन औलिया की दरगाह का पता
हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह, बाओली गेट रोड, निजामुद्दीन वेस्ट, नई दिल्ली-110013
फोन नंबर : 9811778607
हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह कैसे पहुंचें
हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह का नजदीकी मेट्रो स्टेशन ब्ल्यू लाइन स्थित इंद्रप्रस्थ और वॉयलेट लाइन स्थित जंगपुरा है। इंद्रप्रस्थ मेट्रो स्टेशन से दरगाह तक पहुंचने में 13 मिनट (5.3 किलोमीटर) लगते हैं। जंगपुरा मेट्रो स्टेशन से दरगाह की दूरी और भी कम (2.8 किलोमीटर) है।
निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन उतरकर भी आप दरगाह तक पहुंच सकते हैं। यहां से इस दरगाह की दूरी करीब 3 किलोमीटर है। डीटीसी की बस, टैक्सी और ऑटो से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।
निजामुद्दीन औलिया की दरगाह कब जाएं
हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर आप कभी भी जा सकते हैं। हर गुरुवार, उर्स और मुस्लिम त्योहारों पर यहां काफी भीड़ जुटती है। इस दौरान यहां कव्वाली आदि का कार्यक्रम भी कराया जाता है। इस समय जाने पर काफी अच्छा लगता है। शाम के समय दरगाह की भव्यता और भी देखते बनती है।
आसपास और कहां घूमें
हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के अलावा आप हुमायूं का मकबरा, पुराना किला, लाल किला, जामा मस्जिद, जंतर मंतर, इंडिया गेट, प्रगति मैदान, शंकर डॉल म्यूजियम, गुरुद्वारा बंगला साहिब आदि स्थानों पर घूम सकते हैं।
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